नई दिल्ली : भारत ने स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली आकाश-एनजी के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। आज आकाश-एनजी का यूज़र इवोल्यूशन ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किया गया। इसका मतलब है कि आने वाले समय में अब आकाश-एनजी भारतीय सेना और वायुसेना में शामिल हो सकेगा।
रक्षा मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर कहा, “DRDO ने नेक्स्ट जेनरेशन की आकाश (आकाश-एनजी) मिसाइल प्रणाली के यूजन इवोल्यूशन ट्रायल को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, जिससे भारतीय सशस्त्र बलों में इसके शामिल होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इस प्रणाली ने उच्च गति, कम ऊंचाई और लंबी दूरी के उच्च ऊंचाई वाले लक्ष्यों सहित विभिन्न हवाई खतरों के विरुद्ध उच्च सटीकता का प्रदर्शन किया। स्वदेशी आरएफ सीकर, दोहरी पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर और पूरी तरह से स्वदेशी रडार और सी2 प्रणालियों से लैस आकाश-एनजी भारत की वायु रक्षा क्षमता को एक बड़ा बढ़ावा देगी।”
बता दें कि इस माह की शुरुआत में डीआरडीओ ने लड़ाकू विमानों से बाहर निकलने के लिए विकसित ‘एस्केप सिस्टम’ का नियंत्रित रफ्तार पर उच्च-गति रॉकेट-स्लेज परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस परीक्षण से भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिनके पास उन्नत इन-हाउस एस्केप सिस्टम के पूर्ण परीक्षण की क्षमता उपलब्ध है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रॉकेट-स्लेज परीक्षण में रॉकेट प्रणोदन तंत्र के साथ मिलकर प्रणाली को दो रेलों पर उच्च गति से चलाया जाता है, ताकि हवा में गतिमान विमान का अनुकरण किया जा सके।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ, भारतीय वायुसेना, वैमानिकी विकास एजेंसी और हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) को बधाई दी। उन्होंने इसे आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। रक्षा मंत्री के कार्यालय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “डीआरडीओ ने चंडीगढ़ स्थित टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी (टीबीआरएल) के रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (आरटीआरएस) केंद्र में लड़ाकू विमान एस्केप सिस्टम का 800 किमी प्रति घंटा की सटीक नियंत्रित गति से उच्च गति वाला रॉकेट-स्लेज परीक्षण सफलतापूर्वक किया है – जिसमें कैनोपी सेवरेंस, इजेक्शन सीक्वेंसिंग और संपूर्ण एयरक्रू रिकवरी प्रक्रिया की प्रभावी पुष्टि देखी गई।”
