नई दिल्ली : भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने मंगलवार को स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित अपने पहले प्रदूषण नियंत्रण पोत ‘समुद्र प्रताप’ को बेड़े में शामिल किया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
आईसीजी ने कहा कि इसे शामिल किया जाना समुद्री प्रदूषण से निपटने की भारत की क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक अहम उपलब्धि है। साथ ही यह रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता के प्रति देश की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
तटरक्षक बल ने गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में 02 पीसीवी परियोजना के तहत पीसीवी यार्ड 1267 ‘समुद्र प्रताप’ को शामिल किया। यह भारतीय तटरक्षक बल का पहला ऐसा प्रदूषण नियंत्रण पोत है, जिसे देश में ही डिजाइन और तैयार किया गया है। यह पोत समुद्री प्रदूषण नियंत्रण नियमों को लागू करने, समुद्री कानून व्यवस्था बनाए रखने, खोज और बचाव अभियानों और भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएगा।
एक आधिकारिक समारोह में इस पोत को औपचारिक रूप से तटरक्षक बल को सौंपा गया। इस कार्यक्रम में तटरक्षक बल के वरिष्ठ अधिकारी और गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
तटरक्षक बल ने बताया कि यह पोत अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। इसमें 30 मिमी की सीआरएन-91 गन, दो 12.7 मिमी की स्थिर रिमोट कंट्रोल गन जिनमें फायर कंट्रोल सिस्टम लगा है, स्वदेशी इंटीग्रेटेड ब्रिज सिस्टम, इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम, ऑटोमेटेड पावर मैनेजमेंट सिस्टम, शाफ्ट जनरेटर, सी बोट डेविट, पीआर बोट के लिए डेविट और उच्च क्षमता वाला बाहरी अग्निशमन सिस्टम शामिल है।
समुद्र प्रताप’ तटरक्षक बल के बेड़े का पहला प्रदूषण नियंत्रण पोत है, जिसमें रिट्रैक्टेबल स्टर्न थ्रस्टर, डायनामिक पोजिशनिंग सिस्टम (डीपी-1) और फ्लश टाइप साइड स्वीपिंग आर्म्स लगाए गए हैं। इस पोत में ऑयल फिंगरप्रिंटिंग मशीन, जाइरो-स्टेबलाइज्ड स्टैंडऑफ एक्टिव केमिकल डिटेक्टर और अन्य आधुनिक उपकरण भी मौजूद हैं।
इस पोत में 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप है। तटरक्षक बल ने कहा कि ये आधुनिक सुविधाएं हिंद महासागर क्षेत्र में प्रदूषण से निपटने और उसे नियंत्रित करने की क्षमता को काफी बढ़ाएंगी।
