झारखंड : भाजपा नेता आलोक कुमार की मौत पर समर्थक नाराज

BJP-Jharkhand

रांची : देवघर में 9 दिसंबर को हुए सड़क हादसे ने अब सियासी और सामाजिक उबाल का रूप ले लिया है। भाजपा नेता आशुतोष कुमार के भाई आलोक कुमार की मौत को लेकर मंगलवार को शहर की सड़कों पर आक्रोश फूट पड़ा। न्याय की मांग लिए आशुतोष कुमार सैकड़ों समर्थकों के साथ देवघर पहुंचे और वीआईपी चौक से टावर चौक तक विरोध का स्वर बुलंद किया।

आशुतोष कुमार समर्थकों संग देवघर पहुंचे और माहौल तनावपूर्ण हो गया। वीआईपी चौक से शुरू हुआ जुलूस टावर चौक के सामने धरने में तब्दील हो गया। आशुतोष कुमार ने आरोप लगाया कि घटना को 15 दिन से अधिक समय बीत चुका है, बावजूद इसके नामजद आरोपी राहुल चंद्रवंशी और चंदन चंद्रवंशी अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।

धरना स्थल पर आशुतोष कुमार ने प्रशासन और पुलिस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि हादसे के बाद मानवता को ताक पर रख दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि घटना के वक्त राहुल और चंदन अपने सैकड़ों असामाजिक समर्थकों के साथ मौके पर मौजूद थे, लेकिन घायल आलोक को इलाज के लिए अस्पताल नहीं जाने दिया गया।

इतना ही नहीं, उनके समर्थकों को भी रोका गया, जिससे इलाज में देरी हुई और आलोक की जान चली गई। आशुतोष कुमार ने सवाल उठाया कि अगर यह महज सड़क हादसा था, तो घायल को तुरंत अस्पताल क्यों नहीं पहुंचाया गया।

उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने आपराधिक छवि वाले साथियों के साथ मिलकर डॉक्टरों तक को इलाज से रोका। इसी लापरवाही और साजिश का नतीजा आलोक कुमार की मौत बनी। उन्होंने जिला प्रशासन पर लीपापोती का आरोप लगाते हुए कहा कि आज की रैली में भी उनके समर्थकों की गिरफ्तारी यह दिखाती है कि प्रशासन किसके पक्ष में खड़ा है।

उनका कहना था कि जब न्याय की आवाज दबाई जाती है, तब सड़कों पर उतरना मजबूरी बन जाता है। वहीं पूरे मामले पर देवघर के एसडीएम रवि कुमार ने प्रशासन का पक्ष रखते हुए कहा कि पुलिस पूरी तरह सतर्क है और विधि-व्यवस्था बिगाड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि नामजद आरोपियों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं और कानूनी प्रक्रिया जारी है। पीड़ित परिवार को कानून पर भरोसा रखने की अपील भी की गई।

प्रशासन की ओर से मिले आश्वासन के बाद आशुतोष कुमार और उनके हजारों समर्थकों का गुस्सा कुछ शांत हुआ और विरोध मार्च वापस लिया गया। हालांकि, देवघर की सियासत और सड़क दोनों पर यह सवाल अब भी गूंज रहा है कि क्या आलोक कुमार को इंसाफ वक्त पर मिलेगा या न्याय फिर किसी फाइल में कैद रह जाएगा।