बिहार : 2001 के कुंभ में लापता पिता जालंधर में मिले, बेटे ने भी कर दिया था दाह संस्कार

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औरंगाबाद : जिस पुत्र ने अपने पिता को मृत मानकर सांकेतिक दाह संस्कार किया था, वही पिता 24 साल बाद जिंदा मिलने पर परिवार की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा। बिहार के औरंगाबाद जिले के भोपतपुर के रामप्रवेश महतो का जिंदा होना अब पूरे परिवार के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। पिता की सही सलामत होने की खबर मिलने के बाद परिवार उन्हें घर लाने के लिए औरंगाबाद से लगभग 1400 किलोमीटर दूर पंजाब के जालंधर रवाना हो गया।

रामप्रवेश महतो 2001 में प्रयागराज कुंभ मेले में स्नान करने के लिए घर से निकले थे, लेकिन इसके बाद वे लापता हो गए। परिवार ने उनकी खोजबीन शुरू की, घर-गाँव से लेकर प्रयागराज तक का कोना-कोना छाना और रिश्तेदारों से पूछताछ की, लेकिन कहीं कोई पता नहीं चला। पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई, पर कोई सफलता नहीं मिली।

परिवार ने उम्मीद नहीं छोड़ी और आठ साल तक रामप्रवेश महतो के लौटने का इंतजार किया। इसी दौरान 2009 में उनकी पत्नी जसवा देवी का निधन हो गया। तब गांव के बुजुर्गों ने सलाह दी कि रामप्रवेश महतो को भी मृत मानकर उनकी पत्नी के साथ दाह संस्कार कर दिया जाए। इसके अनुसार उनके पुत्र संतोष कुशवाहा ने पिताजी का प्रतीक दाह संस्कार किया और परिवार ने दशकर्म एवं ब्रह्मभोज भी किया। तब परिवार को यह विश्वास हो गया कि रामप्रवेश महतो अब नहीं लौटेंगे।

कुछ दिन पहले औरंगाबाद का एक ट्रक चालक जालंधर के वृद्धाश्रम पहुंचे, जहाँ उन्हें महंत जिंदर मानसिंह ने एक बुजुर्ग से मिलवाया। बुजुर्ग ने मगही में अपने गांव और परिवार के बारे में बातें कीं। ट्रक चालक ने वृद्धाश्रम संचालक से जानकारी साझा की, जिन्होंने गूगल की मदद से भोपतपुर के जनप्रतिनिधियों से संपर्क किया। 23 दिसंबर को संतोष कुशवाहा से संपर्क स्थापित हुआ और उन्हें पता चला कि यह उनके पिता ही हैं।

पिता की जीवित होने की खबर सुनते ही संतोष कुशवाहा भावुक हो गए। उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। तुरंत संतोष कुशवाहा और उनके साथी जालंधर रवाना हुए। शुक्रवार की शाम जालंधर में उन्होंने अपने पिता से मिलकर 24 साल बाद पुनर्मिलन किया। संतोष ने बताया कि यह उनके जीवन की सबसे बड़ी खुशी है।

उन्होंने ट्रक चालक का धन्यवाद किया, जिनकी मदद से यह असंभव पुनर्मिलन संभव हो सका। पुनर्मिलन के बाद संतोष कुशवाहा आवश्यक औपचारिकताओं के बाद अपने पिता रामप्रवेश महतो को लेकर घर लौटने के लिए रवाना हो गए। वे रविवार, 28 दिसंबर को भोपतपुर पहुँचेंगे। पूरे परिवार ने उनके स्वागत की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं और घर में खुशियाँ लौट आई हैं।