नई दिल्ली : नवरात्रि की अवधि को हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इसी अवधि में मनाया जाने वाला महालया भी विशेष महत्व रखता है। इस बार गुरुवार, 03 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि नवरात्र में महालया कब मनाया जाएगा और इसका क्या धार्मिक महत्व है।
कब है महालया : हर साल आश्विन माह की कृष्ण अमावस्या तिथि, जो पितृ पक्ष का आखिरी दिन भी होता है, उसी पर महालया मनाया जाता है। ऐसे में हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल पितृ पक्ष का आखिरी दिन बुधवार, 02 अक्टूबर को है। इसलिए महालया भी 02 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।
माना जाता है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर ने राक्षस राज महिषासुर को हराने के लिए मां दुर्गा की रचना की थी। राक्षस राजा को एक वरदान मिला था, इसलिए उसे कोई भी देवता या मनुष्य नहीं मार सकता। ऐसे में जब देवता राक्षस राजा से हार गए, तो उन्होंने आदि शक्ति से मदद मांगी और माँ दुर्गा ने राक्षस राजा महिषासुर को हरा दिया। बताया जाता है कि लड़ाई के दौरान, देवी को लड़ने के लिए देवताओं द्वारा कई हथियार दिए गए थे। इसलिए, मां दुर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है।
दुर्गा पूजा के नौ दिनों में लोग मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। माता रानी का पहला रूप मां शैलपुत्री, दूसरा रूप मां बह्मचारिणी, तीसरा रूप मां चंद्रघंटा, चौथा रूप मां कूष्मांडा, पांचवां रूप मां स्कंदमाता, छठा रूप मां कात्यायनी, सातवां रूप मां कालरात्रि, आठवां रूप मां महागौरी, नौवां रूप मां सिद्धिदात्री है। कई तस्वीरों और प्रतिमाओं में माता दुर्गा को 10 भुजाओं के साथ देखा जाता है।