नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना

Maa-Shailputri-Navratra

नई दिल्ली : आज शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि है। इस दिन कलश स्थापना की जाती है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। मां दुर्गा की पूजा करने से साधक ही हर मनोकामना पूरी होती है।

इसके साथ ही घर में सुख एवं समृद्धि आती है। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना पर 3 दुर्लभ एवं शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इन योग में जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की आराधना होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मां शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री हैं।

कलश स्थापना तिथि और मुहूर्त : कलश स्थापना मुहूर्त, द्वि-स्वभाव कन्या लग्न के दौरान है।

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ : अक्तूबर 03, 2024 को 12:18 ए एम बजे

प्रतिपदा तिथि समाप्त : अक्तूबर 04, 2024 को 02:58 ए एम बजे

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त :

कन्या लग्न प्रारम्भ : अक्तूबर 03, 2024 को 06:15 ए एम बजे

कन्या लग्न समाप्त : अक्तूबर 03, 2024 को 07:21 ए एम बजे

कलश स्थापना मुहूर्त : 06:15 ए एम से 07:21 ए एम

अवधि : 01 घण्टा 06 मिनट

कलश स्थापना अभिजित मुहूर्त : 11:46 ए एम से 12:33 पी एम

अवधि : 00 घण्टे 47 मिनट

मां शैलपुत्री का स्वरूप : देवी शैलपुत्री वृषभ पर सवार हैं। माता ने श्वेत रंग के वस्त्र ही धारण किये हुए हैं। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प होता है। मां का यह रूप सौम्यता, करुणा, स्नेह और धैर्य को दर्शाता है। मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं। मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना करने से चंद्र दोष से मुक्ति भी मिलती है।

माता शैलपुत्री को अर्पित करें ये वस्तुएं : माता की पूजा और भोग में सफेद रंग की चीजों का ज्यादा प्रयोग करना चाहिए। माता को सफेद फूल, सफेद वस्त्र, सफेद मिष्ठान अर्पित करें। माता शैलपुत्री की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है और घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है।

मां शैलपुत्री की पूजा विधि :

नवरात्रि के पहले दिन प्रातः स्नान कर निवृत्त हो जाएं।

फिर मां का ध्यान करते हुए कलश स्थापना करें।

कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री के चित्र को स्थापित करें।

मां शैलपुत्री को कुमकुम (पैरों में कुमकुम लगाने के लाभ) और अक्षत लगाएं।

मां शैलपुत्री का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें।

मां शैलपुत्री को सफेद रंग के पुष्प अर्पित करें।

मां शैलपुत्री की आरती उतारें और भोग लगाएं।

मां शैलपुत्री पूजा मंत्र :

बीज मंत्र- ह्रीं शिवायै नम:

प्रार्थना मंत्र : वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
स्तुति मंत्र : या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

माता शैलपुत्री की आरती :

शैलपुत्री मां बैल पर सवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
जोर से बोलो जय माता दी, सारे बोले जय माता दी

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए NewsXpoz उत्तरदायी नहीं है।

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