रांची : झारखंड में विधानसभा चुनाव की आधिकारिक घोषणा भले ही मंगलवार को हुई है, लेकिन चुनावी बिसात पर शह-मात का खेल पिछले कई महीनों से जारी है। ईडी की कार्रवाई के कारण हेमंत सोरेन को पद छोड़ना पड़ा। वे लगभग पांच माह जेल में रहे। जेल से वापस आने के बाद उन्हें अपने दल में उथल-पुथल का अहसास हुआ। समय रहते उन्होंने फिर मुख्यमंत्री बनने का निर्णय किया।
कुछ समय के बाद उनके विश्वस्त रहे पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन दल छोड़कर चले गए। हेमंत पर फिलहाल पूरे गठबंधन के नेतृत्व का दारोमदार है। सहूलियत के लिहाज से वे साथी दलों कांग्रेस, राजद और वामदलों के साथ सीट बंटवारे पर समझौता करेंगे। हेमंत की चुनौती फिर से सत्ता में वापसी की होगी। उनके कंधे पर चुनाव प्रचार की पूरी जिम्मेदारी होगी।