हिसार : जिस हवाई पट्टी और संबंधित क्षेत्रों में एक परिंदा भी पर नहीं मार सकता, वहां अगर वन्यजीवों का बसेरा हो तो ये सुरक्षा व्यवस्था में चूक ही मानी जाएगी। कमोबेश यही सच हिसार के महाराजा अग्रसेन एयरपोर्ट पर सामने आया है। एयरपोर्ट को अगले चार-पांच दिनों में उड़ान भरने का लाइसेंस मिलना है। मगर उसकी हवाई पट्टी पर नीलगाय व अन्य वन्यप्राणी घूम रहे हैं।
विषय इसलिए भी संवेदनशील है क्योंकि सोमवार को ही यहां राष्ट्रपति दौपदी मुर्मु हवाई जहाज से आई थीं। वे गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षा समारोह में मुख्यातिथि थीं। इसी हवाई पट्टी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हेलीकॉप्टर भी लैंड कर चुका है।
सेना लड़ाकू विमान उतारने का ट्रायल कर चुकी है। हैरान करने वाली बात यह कि एयरपोर्ट के अधिकारी यहां वन्यप्राणियों के विचरण की बात को सिरे से खारिज कर रहे हैं। जबकि वन एवं वन्य प्राणी विभाग का कहना है कि यहां पहले से वन्य जीवों का बसेरा है। सवाल यह कि सुरक्षा के प्रति बेपरवाही के लिए जवाबदेह कौन है?
राष्ट्रपति 10 मार्च को हिसार आई थीं। उनके आगमन से पहले आठ मार्च को विश्व महिला दिवस के दिन से ही एयरपोर्ट के सीमा क्षेत्र में कई विभागों की संयुक्त टीमें वन्य जीवों को पकड़ने और उन्हें एयरपोर्ट के प्रांगण से बाहर निकालने की जद्दोजहद में लगी रही। दिन में कई घंटे टीमों ने इन वन्य जीवों को पकड़ने के लिए पसीना बहाया। सभी तरह के प्रयासों के बावजूद वन्य जीवों को बाहर नहीं निकाला जा सका था।
वन्यप्राणी विभाग के आला अफसरों की मानें तो हवाई अड्डे ने वन्य जीवों की जगह घेर रखी है। वन्य जीव यहां पहले से ही रह रहे थे। इसी वजह से आज भी अपनी जगह मानकर विचरण कर रहे हैं। सरकारी तंत्र की मानें तो एयरपोर्ट की सीमा में नीलगाय, सुअर, कुत्ते हैं। सूत्रों के अनुसार करीब 20-30 नीलगाय, सुअर, 50 से अधिक कुत्ते, एक हजार के आसपास तितर और गीदड़ भी यहां नियमित घूमते हैं।