कोलकाता : भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के अपने निरंतर प्रयास के तहत, भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने शुक्रवार को देश भर के 474 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूची से हटा दिया, जिनमें पश्चिम बंगाल के 12 दल भी शामिल हैं। एक अधिकारी ने बताया कि ये दल लगातार छह वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ने के कारण सूची से बाहर हो गए हैं।
उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल में सूची से हटाए गए दलों में अंबेडकरवादी पार्टी, ग्लोबल पीपल पीस पार्टी और गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट जैसे कम-ज्ञात या लंबे समय से निष्क्रिय संगठन शामिल हैं, जो कभी क्षेत्रीय पहचान आंदोलनों से जुड़े थे। सूची से हटाए गए अन्य दलों में कामतापुर प्रोग्रेसिव पार्टी, माई ही भारत, नेशनल कॉन्फेडेरसी ऑफ इंडिया और राष्ट्रवादी तृणमूल कांग्रेस पार्टी शामिल हैं।
इन पार्टियों को भी सूची से किया गया बाहर : इसके अलावा, पर्वतीय प्रजातांत्रिक पार्टी, पश्चिम बंग राज्य मुस्लिम लीग, और राइट पार्टी ऑफ इंडिया और रिलिजन ऑफ मैन रिवॉल्विंग पॉलिटिकल पार्टी ऑफ इंडिया जैसी अज्ञात संस्थाओं को भी सूची से बाहर कर दिया गया। रिवॉल्विंग पॉलिटिकल पार्टी ऑफ इंडिया चुनावी गतिविधियों से ज्यादा अपने विचित्र नाम के लिए जानी जाती है।
यह कार्रवाई चुनाव आयोग के राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा : चुनाव आयोग की यह कार्रवाई एक बड़े राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ऐसे निष्क्रिय या नियमों का पालन न करने वाले दलों की पहचान करना है जो चुनावी प्रक्रिया में भाग न लेकर भी वैधानिक विशेषाधिकारों का लाभ उठा रहे थे।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत चुनाव आयोग में पंजीकृत दलों को आरक्षित चुनाव चिह्न और कर छूट जैसी सुविधाएं मिलती हैं। हालांकि, दिशानिर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि लगातार छह वर्षों तक चुनाव न लड़ने वाले दलों को सूची से हटाया जा सकता है।
एक महीने के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देंगे मुख्य चुनाव अधिकारी : चुनाव आयोग ने मुख्य चुनाव अधिकारी को ऐसे दलों की सुनवाई के लिए अधिकृत किया है, जिन्होंने लगातार छह वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ा है। उन्हें जवाब देने का अवसर देने के बाद, मुख्य चुनाव अधिकारी को एक महीने के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। एक अधिकारी ने कहा, ‘मुख्य चुनाव अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर, किसी भी आरयूपीपी को सूची से हटाने के संबंध में अंतिम निर्णय चुनाव आयोग द्वारा लिया जाएगा।’