बिहार कांग्रेस की बड़ी कार्रवाई, सात नेता पार्टी से निकाले गए

Bihar-Congress

पटना : कांग्रेस ने अपने सात नेताओं को 6 साल के लिए पार्टी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है। पार्टी ने उन नेताओं पर कांग्रेस पार्टी के मूल सिद्धांतों, अनुशासन और संगठनात्मक मर्यादा के प्रति शिथिल रवैया अपनाने तथा पार्टी-प्लेटफ़ॉर्म के बाहर लगातार अवांछित व भ्रामक बयान जारी करने का आरोप लगाया है। यह कार्रवाई प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति ने की है।

इस संबंध में अनुशासन समिति के अध्यक्ष कपिलदेव प्रसाद यादव का कहना है कि संबंधित नेताओं से प्राप्त स्पष्टीकरण समिति को संतोषजनक नहीं लगा। उनके कार्य पार्टी अनुशासन उल्लंघन के पाँच मानकों में से तीन के अंतर्गत स्पष्ट रूप से आते हैं। 
अनुशासन समिति का आरोप है कि नेताओं ने कांग्रेस के कार्यक्रमों और निर्णयों के विरुद्ध लगातार पार्टी मंचों से बाहर बयान दिए हैं। इन नेताओं ने सक्षम अधिकारियों के निर्देशों की जानबूझकर अवहेलना की है। प्रिंट और सोशल मीडिया में टिकट खरीद–फरोख्त जैसे निराधार और भ्रामक आरोप लगाकर पार्टी की प्रतिष्ठा को गंभीर क्षति पहुँचाई है। 

समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन मुद्दों को उठाकर नेताओं ने दुष्प्रचार किया, उन पर पार्टी ने पूर्ण पारदर्शिता अपनाई थी। पर्यवेक्षकों की नियुक्ति, जनसंपर्क कार्यक्रम, प्रदेश चुनाव समिति की बैठकों तथा अखिल भारतीय चुनाव समिति द्वारा विस्तृत समीक्षा के बाद ही अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा की गई थी।

इसके बावजूद संबंधित नेताओं के आचरण से पार्टी के विभिन्न स्तरों—प्रदेश कांग्रेस कमेटी, पर्यवेक्षक, चुनाव समितियों तथा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्णयों की अवमानना हुई और संगठन के भीतर भ्रम फैलाने की कोशिश की गई। समिति का यह भी आरोप है कि केंद्रीय पर्यवेक्षक अविनाश पाण्डेय की सहमति से विधान सभा पर्यवेक्षक बनाए जाने के बाद भी इन नेताओं ने अनुशासनहीनता जारी रखी। 

इन सभी तथ्यों के आधार पर प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति ने निम्नलिखित व्यक्तियों की छह वर्षों के लिए कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता रद्द कर दी, उनमें कांग्रेस सेवा दल के पूर्व उपाध्यक्ष आदित्य पासवान, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष शकीलुर रहमान, किसान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राज कुमार शर्मा, प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राज कुमार राजन, अति पिछड़ा विभाग के पूर्व अध्यक्ष कुंदन गुप्ता, बांका जिला कांग्रेस कमिटी की अध्यक्ष कंचना कुमारी और नालंदा जिला के रवि गोल्डेन शामिल हैं।

इस संबंध में कांग्रेस सेवा दल के पूर्व उपाध्यक्ष आदित्य पासवान का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति ही फर्जी है। उन्होंने कहा कि अनुशासन समिति जिस तरह से बनना चाहिए, उस तरह से इसे नहीं बनाया गया है। इनलोगों ने अपनी गलतियों को छुपाने के लिए हड़बड़ी में बनाया है। उसमें संगठन महामंत्री का हस्ताक्षर भी नहीं है। उनके अप्रूवल के बिना इसका कोई मतलब ही नहीं हैं।  आदित्य पासवान ने आगे कहा कि एक दिन पहले प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति में कम से कम पांच लोग होते हैं, लेकिन सिर्फ तीन लोग ही हैं। स्पष्टीकरण के बाद एक बार बात भी करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

आदित्य पासवान ने कहा कि केन्द्रीय कांग्रेस अनुशासन समिति के अध्यक्ष तारिक अनवर हैं, जिन्होंने बिहार विधान सभा चुनाव में करारी हार पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जो भी कांग्रेस के नेता हैं और जो इस चुनाव में शामिल थे, उन सबको इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना त्यागपत्र दे देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जिस अनुशासन समिति ने कांग्रेस के नेताओं पर कार्रवाई की है, इसका कोई औचित्य नहीं है। तो क्या ऐसे में राजेश राम अनुशासनहीनता के आरोप में तारिक अनवर पर भी कार्रवाई करेंगे ? शायद नहीं कर पाएंगे।

इस मसाले पर आदित्य पासवान ने कहा कि इस विरोध में कुल 43 नेता कार्यकर्ता हैं, फिर सिर्फ हम सात लोगों पर ही क्यों की गई? इतना ही नहीं इस आंदोलन में पीईसी के सदस्य नागेन्द्र विट्ठल, खुशबु और वीणा शाही जैसे नेता शामिल थे, फिल उनपर राजेश राम ने कार्रवाई क्यों नहीं कीं, उनसे कोई सेटिंग हो गई क्या? दरअसल राजेश राम और कृष्ण अलावरू ने जो गलतियाँ की हैं, टिकट चोरी किया, जो  अनियमितता की हैं, उनको छुपाने के लिए यह ठीकरा हमलोगों पर फोड़ रहे हैं, जिन्होंने पार्टी के लिए आवाज बुलंद किया।