भारत में बनेगी सिक्योर चिप; एलएंडटी, आईआईटी गांधीनगर और सी-डैक के बीच हुआ समझौता

Chain-Processor

नई दिल्ली : भारत ने डिजिटल सुरक्षा और तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। सेमीकॉन इंडिया 2025 कार्यक्रम में एलएंडटी सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजीज, आईआईटी गांधीनगर और सी-डैक ने मिलकर एक समझौता किया है। इस सहयोग का मकसद भारत की पहली पूरी तरह स्वदेशी सुरक्षित चिप बनाना है।

इस चिप का पहला इस्तेमाल भारत के नए इलेक्ट्रॉनिक पासपोर्ट में किया जाएगा। इसका मतलब है कि भविष्य में आपका पासपोर्ट और भी सुरक्षित और भरोसेमंद होगा। विदेश यात्रा करते समय नकली पासपोर्ट या डेटा चोरी जैसे खतरे और कम हो जाएंगे।

अभी तक ऐसी ज्यादातर चिप्स विदेशों से आती थीं। इससे सुरक्षा पर सवाल उठते थे और भारत तकनीक के लिए दूसरों पर निर्भर रहता था। अब जब सभी डिजाइन और बौद्धिक संपदा (आईपी) भारत में ही रहेंगे, तो देश की तकनीकी संप्रभुता भी मजबूत होगी।

इस परियोजना में उद्योग, विश्वविद्यालय और सरकारी शोध संस्थान-तीनों मिलकर काम कर रहे हैं विशेषज्ञों का कहना है कि इससे युवाओं को सेमीकंडक्टर और डिजिटल सुरक्षा के क्षेत्र में नए शोध और रोजगार के अवसर मिलेंगे। सरकार का कहना है कि यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना की दिशा में अहम कदम है। इससे भारत न सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी करेगा बल्कि भविष्य में दुनिया को भी सुरक्षित चिप्स का निर्यात कर सकता है।

ई-पासपोर्ट तो सिर्फ शुरुआत है। भविष्य में यही सुरक्षित चिप बैंकिंग कार्ड, मोबाइल वॉलेट, हेल्थ कार्ड, यहां तक कि आधार जैसे डिजिटल पहचान पत्रों में भी इस्तेमाल हो सकती है। इससे आपके पैसे और व्यक्तिगत जानकारी दोनों को और बेहतर सुरक्षा मिलेगी।

कार्यक्रम में रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन, आईआईटी गांधीनगर के निदेशक प्रो. रजत मूना, सी-डैक के महानिदेशक मनीष एथिराजन और एलएंडटी सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजीज के सीईओ संदीप कुमार मौजूद रहे।