नई दिल्ली : 7 सितंबर 2025 को साल का अंतिम पूर्ण चंद्र ग्रहण लगेगा, जो भारत में रात 9:58 से 1:26 बजे तक पूर्ण रूप से दिखाई देगा। इसी दिन से पितृ पक्ष की शुरुआत भी हो रही है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है। चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखेगा, इसलिए सूतक काल प्रभावी रहेगा। चंद्र ग्रहण खगोलीय घटना के साथ-साथ धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
सूतक काल में क्या न करें
- इस पूरे समय सोना, स्नान, पूजा-पाठ, दान वर्जित माना गया है।
- मंदिर बंद रहते हैं और किसी भी शुभ कार्य को न करें।
- गर्भवती महिलाओं को तेज़ हथियारों से बचना चाहिए—जैसे चाकू या कैंची।
- हालांकि बच्चे, बुजुर्ग और बीमार व्यक्ति इन नियमों से छूट प्राप्त कर सकते हैं।
ग्रहण के समाप्त होने के साथ ही सूतक काल भी समाप्त हो जाता है। इसीलिए मध्यरात्रि 1:26 बजे पर ग्रहण के समाप्त होते ही सूतक काल समाप्त हो जाएगा।
भारत के कई हिस्सों में नजर आएगा। लोग इस दौरान “रक्तिम चंद्र” यानी ब्लड मून का भी अद्भुत नज़ारा देख पाएंगे। यह खगोलीय घटना नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, जयपुर और लखनऊ सहित देश के प्रमुख शहरों में देखी जा सकेगी।
आज यानी 7 सितंबर 2025 को लगने वाले चंद्र ग्रहण के क्रम में सूतक काल ग्रहण से ठीक 9 घंटे पूर्व दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा।
सूतक काल वह समय होता है जो चंद्र ग्रहण शुरू होने से लगभग नौ घंटे पहले से शुरू हो जाता है। ज्योतिषशास्त्र में इसे अशुभ माना जाता है क्योंकि माना जाता है कि राहु-केतु ग्रह इस समय चंद्रमा पर प्रभाव डालते हैं, जिससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। इसलिए इस दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता।
गुरु (बृहस्पति) की दृष्टि इस पूरे ग्रहण पर बनी हुई है, जो एक रक्षात्मक ढाल का काम करेगी। इससे बने बिगड़े हालात जल्दी सुधर सकते हैं, और लोग मानसिक रूप से स्वस्थ हो सकते हैं।
ग्रहों की चाल के अनुसार, इस चंद्र ग्रहण के प्रभाव से अग्निकांड, बारिश से नुकसान, रोग फैलाव, महंगाई, और सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव या युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इस ग्रहण में चंद्रमा और राहु की युति के साथ बुध और केतु से समसप्तक योग बन रहा है। यह योग अचानक घटनाओं, मानसिक भ्रम, और झूठी अफवाहों को जन्म दे सकता है।