‘धमकियां सहने वाला नहीं, सख्त व्यक्ति हूं’, जजों को धमकाने पर सीजेआई की चेतावनी

CJI-Surya

नई दिल्ली : मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस सूर्यकांत ने चिंता जताई है कि न्यायाधीशों को मुकदमों की सुनवाई के दौरान की गई टिप्पणियों के कारण प्रतिकूल सार्वजनिक बयानों का सामना करना पड़ रहा है। न्यायाधीशों को धमकाने के खिलाफ चेतावनी देते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह सोचना गलत होगा कि अदालती कार्यवाही पर टिप्पणियों से उन पर दबाव डाला जा सकता है। वह धमकियों को सहन करने वाले नहीं, बल्कि बहुत सख्त व्यक्ति हैं।

सीजेआई ने कर्नाटक के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना से जुड़े यौन उत्पीड़न मामले में सुनवाई के दौरान यह टिप्पणियां की। पीठ में सीजेआई के साथ जस्टिस जॉयमाल्य बागची भी थे। पीठ ने रेवन्ना के मामले में न्यायिक पूर्वाग्रह के आरोपों को निराधार बताया और बंगलूरू स्थित सांसद-विधायक कोर्ट से यौन उत्पीड़न मामले की सुनवाई स्थानांतरित करने की याचिका खारिज कर दी। कहा कि पूर्व दोषसिद्धि आदेश में ट्रॉयल कोर्ट की टिप्पणियों के आधार पर पक्षपात का निष्कर्ष निकालना उचित नहीं है।

सीजेआई ने कोर्ट में लंबित मामलों पर टिप्पणी करने को सोची-समझी चाल बताया, ताकि जजों को वकीलों से मुश्किल सवाल पूछने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रश्न दोनों पक्षों के तर्कों के महत्व को परखने के लिए होते हैं। लोग सुनवाई के दौरान उठाए कुछ प्रश्नों के आधार पर तरह-तरह की बातें गढ़ने लगते हैं। 

माना जा रहा है कि सीजेआई की यह टिप्पणियां सेवानिवृत्त जजों, वकीलों के समूह की ओर से लिखे गए खुले पत्र के संदर्भ में थीं, जिसमें रोहिंग्या मुद्दे पर सुनवाई में उनकी टिप्पणियों पर आपत्ति जताई गई थी।