असम : बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक हुआ पेश

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नई दिल्ली : असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मंगलवार को विधानसभा में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाला एक विधेयक पेश किया। विधेयक में बहुविवाह को अपराध घोषित करने का प्रावधान है और दोषी पाए जाने पर सात साल तक कारावास की सजा हो सकती है। विधेयक के प्रवधानों से अनुसूचित जनजाति (ST) के सदस्यों और छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को अलग रखा गया है।

विधानसभा अध्यक्ष विश्वजीत दैमरी की अनुमति के बाद राज्य के गृह और राजनीतिक मामलों के विभाग की भी जिम्मेदारी संभाल रहे शर्मा ने ‘असम बहुविवाह निषेध विधेयक- 2025’ पेश किया। यह विधेयक विपक्षी दल कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और रायजोर दल के विधायकों की अनुपस्थिति में पेश किया गया, जिन्होंने गायक जुबिन गर्ग की मौत मामले पर चर्चा के बाद सदन का बहिष्कार  किया।

विधेयक के ‘उद्देश्यों एवं कारणों के विवरण’ के अनुसार, इसका उद्देश्य राज्य में बहुविवाह और बहुपत्नी विवाह की प्रथाओं को प्रतिबंधित करना और समाप्त करना है। हालांकि, विधेयक के प्रावधान छठी अनुसूची के क्षेत्रों और किसी भी अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू नहीं होंगे।

विधेयक में ‘बहुविवाह’ को ऐसे विवाह के रूप में परिभाषित किया गया है जब दोनों पक्षों में से किसी एक का पहले से ही विवाह हो गया हो या जीवित जीवनसाथी हो, जिससे उसका कानूनी रूप से तलाक न हुआ हो, या उनका विवाह कानूनी रूप से रद्द या शून्य घोषित न हुआ हो। विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि बहुविवाह को दंडनीय अपराध माना जाएगा और इसके दोषी को कानून के अनुसार 7 साल तक के कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है।

इसमें कहा गया कि यदि कोई व्यक्ति अपनी मौजूदा शादी को छिपाकर दूसरी शादी करता है तो उसे 10 साल कारवास और जुर्माने की सजा हो सकती है। विधेयक में प्रस्तावित किया गया है कि दोबारा यह अपराध करने वाले को प्रत्येक अपराध के लिए निर्धारित सजा से दोगुनी सजा दी जाएगी। विधेयक में कहा गया है कि यदि कोई ग्राम प्रधान, काजी, माता-पिता या कानूनी अभिभावक बेईमानी से तथ्य छिपाता है या जानबूझकर बहुविवाह में हिस्सा लेता है तो उसे 2 साल तक कारावास और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

इसमें कहा गया कि कोई भी व्यक्ति प्रस्तावित कानून का उल्लंघन कर जानबूझकर विवाह कराता है, उसे दो साल तक की कैद या 1.50 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। विधेयक में प्रस्तावित किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति बहुविवाह करता है और उसे न्यायालय द्वारा दोषी ठहराया जाता है, तो वह राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित या सहायता प्राप्त किसी भी सरकारी रोजगार और नियुक्ति का हकदार नहीं होगा।

इसके प्रावधान किया गया है कि बहुविवाह कानून के तहत दोषी करार व्यक्ति राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित या सहायता प्राप्त किसी योजना का लाभार्थी नहीं हो सकता है, तथा पंचायती राज संस्थाओं, शहरी स्थानीय निकायों आदि के लिए कोई चुनाव भी नहीं लड़ सकता है। प्रस्तावित कानून में पीड़ित महिलाओं को मुआवजा दिलाने की बात की गई है, क्योंकि बहुविवाह के कारण उन्हें अत्यधिक पीड़ा और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।