नई दिल्ली : अमेरिका ने ईरान से तेल आयात करने वाली एक चीनी रिफाइनरी टीपोट रिफाइनरी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए कई तरह के प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। ईरान के साथ बिगड़े रिश्तों के बीच डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले को इस्लामिक देश पर दबाव बढ़ाने के उद्देश्य के रूप में देखा जा रहा है। इसके साथ ही, ईरान को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए ट्रंप उसके तेल निर्यात को भी खत्म करना चाहते हैं। अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने बुधवार को चीनी रिफाइनरी पर आरोप लगाया कि उसने ईरान से 1 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा कीमत का कच्चा तेल खरीदा है।
ट्रेजरी विभाग के मुताबिक, इन लेनदेन से होने वाली कमाई का इस्तेमाल ईरान के सरकारी संचालन और आतंकवादी संगठनों को समर्थन के लिए किया जाता है। ये कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका इटली की राजधानी रोम में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत करने जा रहा है। दोनों देशों के बीच अभी हाल ही में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत शुरू हुई है। अमेरिका और ईरान के बीच ओमान में पहले दौर की बातचीत हुई थी। हालांकि, रोम में होने वाली बातचीत को लेकर ईरान ने कुछ शर्तें भी रख दी हैं। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची ने बुधवार को कहा कि वे यूरेनियम संवर्धन के अधिकार पर कोई समझौता नहीं करेंगे।
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने एक प्रेस रिलीज में कहा, “अमेरिका पहले ही शिपमेंट में शामिल दर्जनों लोगों और जहाजों के खिलाफ कार्रवाई कर चुका है। कोई भी रिफाइनरी, कंपनी या ब्रोकर जो ईरानी तेल खरीदता है, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अमेरिका के मुताबिक ईरानी प्रशासन तेल से होने वाली कमाई का इस्तेमाल आतंकवादी प्रॉक्सी और पार्टनर को सपोर्ट करने के लिए करता है।” ईरान पर लेबनान के हिजबुल्लाह, गाजा के हमास और यमन के हूतियों समेत कई आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने का आरोप है, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय शिपिंग पर हमले किए हैं।