दिल्ली ब्लास्ट : NIA ने कश्मीर के आमिर को किया गिरफ्तार

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नई दिल्ली : दिल्ली में लाल किले के पास हुए बम धमाके की साजिश रचने के आरोप में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास एक कार में धमाका हुआ था। इस धमाके में 10 लोगों की मौत हो गई और 30 लोग घायल हुए थे। इस मामले में जांच कर रही एनआईए ने कश्मीर के रहने वाले आमिर राशिद अली को गिरफ्तार किया गया।

उसकी तलाश में जांच एजेंसी कई राज्यों में छापेमारी कर रही थी। एनआईए ने आत्मघाती हमलावर उमर का एक और वाहन जब्त कर लिया है, जिसकी अतिरिक्त सबूतों के लिए जांच की जा रही है। अब तक, जांचकर्ताओं ने कई घायल पीड़ितों सहित 73 गवाहों से पूछताछ की है।

एनआईए की जांच से पता चला कि आरोपी आमिर ने कार धमाके की साजिश रची थी। वह जम्मू-कश्मीर के पंपोर में संबूरा का रहने वाला है। आमिर ने सुसाइड बॉम्बर उमर के साथ मिलकर हमले की साजिश रची थी। उमर फरीदाबाद की अल-फलाह युनिवर्सियी में सहायक प्रोफेसर था। उसने विस्फोटक से भरी कार ले जाकर लाल किले पास धमाका हुआ। जिस कार में विस्फोट हुआ। वह उसी के नाम पर दर्ज थी।

एनआईए ने आत्मघाती हमलावर उमर का एक और वाहन जब्त कर लिया है, जिसकी अतिरिक्त सबूतों के लिए जांच की जा रही है। अब तक, जांच टीम ने कई घायल पीड़ितों सहित 73 गवाहों से पूछताछ की है।

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जांच के दौरान आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है। आरोप है कि कई डॉक्टर और ऊंचे पदों पर बैठे लोग यह गिरोह चला रहे थे। अधिकारियों का कहना है कि यह मॉड्यूल पिछले साल से एक आत्मघाती हमलावर की तलाश में था, जिसकी साजिश के केंद्र में डॉ. उमर नबी था। पुलिस को संदेह है कि 6 दिसंबर और 10 नवंबर को लाल किले पर हुए बम विस्फोट का मास्टरमाइंड वही था।

आरोपी डॉ आदिल राथर और डॉ मुजफ्फर गनई से पूछताछ के बाद पुलिस काजीगुंड पहुंची, जहां उन्होंने जसीर उर्फ दानिश को हिरासत में लिया। उसकी गिरफ्तारी से जैश-ए-मोहम्मद  से जुड़े व्यापक नेटवर्क का खुलासा हुआ। दानिश ने खुलासा किया कि पिछले साल अक्टूबर में कुलगाम की एक मस्जिद में उसकी मुलाकात “डॉक्टर मॉड्यूल” से हुई थी और बाद में उसे अल-फलाह विश्वविद्यालय के एक किराए के कमरे में ले जाया गया, जहां उसे कथित तौर पर आत्मघाती हमलावर बनने के लिए तैयार किया गया। अप्रैल में वित्तीय और धार्मिक चिंताओं के कारण उसके पीछे हटने के बाद यह फ्लान फेल हो गया।

डॉ उमर और सह-आरोपी डॉ मुजम्मिल अहमद गनी 2021 में तुर्की गए थे। यहां उनकी कथित तौर पर जैश-ए-मोहम्मद के गुर्गों से मुलाकात हुई थी। तुर्की से लौटने के बाद उन्होंने लगभग 360 किलो विस्फोटक जमा कर लिया, जिनमें से अधिकांश विश्वविद्यालय परिसर के पास छिपाया गया था। डॉ गनी के गिरफ्तार होने के बाद 6 दिसंबर के हमले का प्लान फेल हो गया।

आतंकी नेटवर्क पहली बार अक्टूबर में सामने आया था। जब नौगाम के बानपोरा में जैश ए मोहम्मद के पोस्टर दिखाई दिए। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कई गिरफ्तारियां हुईं, जिनमें पूर्व पैरामेडिक और इमाम मौलवी इरफान अहमद भी शामिल था। इसी पर डॉक्टरों को कट्टरपंथी बनाने का आरोप था।