नई दिल्ली : आज 12 नवंबर 2024 को देवउठनी एकादशी है. इस दिन 4 महीने बाद श्रीहरि विष्णु जागते हैं सृष्टि का भार संभालते हैं. आज भगवान विष्णु का दूध से अभिषेक करें, उन्हें नए वस्त्र पहनाएं और फिर खीर, आंवला, पंचमेवा का भोग लगाएं.
देवों को उठाने के लिए ‘उत्तिष्ठो उत्तिष्ठ गोविंदो, उत्तिष्ठो गरुड़ध्वज। उत्तिष्ठो कमलाकांत, जगताम मंगलम कुरु।।’ इस मंत्र का जाप करें. देवउठनी एकादशी की शाम को शालिग्राम जी और माता तुलसी का विवाह भी कराया जाता है. इसके प्रभाव से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
देवउठनी एकादशी के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद को भोजन कराएं. अन्न- वस्त्र का दान करें. मान्यता है इससे मुश्किलें दूर होती है. आर्थिक लाभ मिलता है.
तुलसी विवाह : तुलसी विवाह का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। हर वर्ष कार्तिक मास की एकादशी तिथि के दिन जिसे देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। उस दिन तुलसी विवाह कराया जाता है। इस बार तुलसी विवाह 12 नवंबर मंगलवार के दिन कराया जाएगा। तुलसी विवाह दो दिन कराया जाता है। कुछ लोग एकादशी तिथि के दिन करते हैं जबकि कुछ लोग द्वादशी तिथि के दिन तुलसी विवाह करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति तुलसी विवाह कराता है उसके जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
तुलसी माता श्रृंगार विधि :
तुलसी विवाह के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान कर वस्त्र धारण करें।
देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करें।
तुलसी माता को चुनरी पहनाएं।
इसके बाद सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
कमरबंद, गले का हार और पायल भी पहनाएं।
भगवान शालिग्राम को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं।
फूलों की माला अर्पित करें।
इसके बाद दीपक जलाकर आरती करें।
मंत्रों और तुलसी चालीसा का पाठ करें।
पंचामृत, केले और मिठाई का भोग लगाएं।
जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें।
अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
आज का उपाय : देवउठनी एकादशी के दिन रात में पीपल वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. माना जाता है कि पीपल के वृक्ष में देवताओं का वास होता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है.