धनबाद : नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत पुराना बाजार धनबाद मे दिन ब दिन धनबाद हरि सभा हरि मंदिर का विवाद गहराता जा रहा है। धनबाद हरी सभा हरि मंदिर सत्कार समिति के सचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर मंदिर परिषद से संबंधित अतिक्रमण पर समिति का पक्ष रखा।
प्रेषित पत्र में बताया गया है कि पुराना बाजार स्थित हरि सभा की कार्यालय-ग्रंथागार किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है। इसलिए नगर निगम द्वारा किसी प्रकार का नोटिस जारी हो तो वह समिति के नाम पर निर्गत किया जाना चाहिए। समिति के सचिव उपेंद्र सिंह ने बताया कि हरि सभा हरि मंदिर सत्कार समिति का पुराना बाजार में कार्यालय तथा ग्रंथागार है। जिसे वर्ष 1946 में पुराना बाजार के प्रबुद्ध नागरिक समिति ने स्थापित किया गया था।
जबकि इस संबंध में नगर निगम द्वारा जारी की गई नोटिस में राजनीतिक पार्टी के कार्यालय संचालन की बात कही गई है। इसके जवाब में धनबाद हरिसभा हरिमंदिर के लेटर हेड पर नगर आयुक्त को एक पत्र लिखकर बताया गया कि उपेंद्र सिंह नामक व्यक्ति समिति के सचिव के साथ-साथ एक राजनीतिक पार्टी से संबंधित व्यक्तित्व भी हैं। यह परिसर किसी राजनीतिक पार्टी का कार्यालय नहीं, बल्कि धनबाद हरि सभा हरि मंदिर का ग्रंथागार है।
वही पत्र में यह भी बताया गया है कि पूर्व में कभी भी धनबाद हरि सभा हरि मंदिर को नोटिस निर्गत नहीं किया गया है। जबकि मंदिर डेवलपमेंट के लिए पूर्व के वर्षों में तत्कालीन नगर पालिका द्वारा प्रतिवर्ष ₹500 सहयोग राशि भी दिया जाता रहा है।
मालूम हो कि धनबाद नगर निगम ने उपेंद्र सिंह को नोटिस देते हुए 72 घंटे के भीतर हरि सभा मंदिर और प्रभात होटल के मध्य स्थित दो भूखंड पर बनी एक दुकान और राजनीतिक पार्टी के कार्यालय को खाली करने का नोटिस दीवार पर चस्पाया गया था। नोटिस के तहत निगम ने कांग्रेस नेता उपेंद्र सिंह को समय पर दुकान एवं कार्यालय खाली नहीं करने की स्थिति में उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है।
जबकि उपेंद्र सिंह ने नगर आयुक्त को पत्र प्रेषित कर बताया कि उक्त भूखंड पर किसी प्रकार का राजनीतिक पार्टी कार्यालय नहीं है। व्यक्तिगत नोटिस जारी किये जाने से समाज में समिति के प्रतिष्ठा पर आंच आई है। जबकि परिसर का व्यावसायिक लाभ हेतु कभी भी इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसके साथ ही पत्र के माध्यम से समिति ने अनुरोध किया है कि नगर निगम द्वारा निर्गत नोटिस वापस लिया जाए, जिससे सामाजिक प्रतिष्ठा का सम्मान बरकरार रह सके।
