धनबाद : ‘न पानी की सुविधा, न कोई सुरक्षा व्यवस्था’, बदहाली के आंसू रो रहा डोकरा स्टेशन

Dhn-Dhokhra-Station

धनबाद-NewsXpoz : धनबाद स्टेशन से मात्र आठ किमी. की दूरी पर स्थित डोकरा स्टेशन में फैले झाड़ियों की वजह से यात्रियों को परेशानी हो रही है। वहीं स्टेशन पर किसी तरह की सुविधाएं रेलवे ने नहीं दी है। शौचालय, पेयजल, धूप से बचाव के लिए छाजन की व्यवस्था नहीं है। वहीं प्लेटफार्म ऊंचा न होने से यात्रियों को ट्रेन में चढ़ने-उतरने में काफी दिक्कत होती है। सफाई व्यवस्था भी ठीक नहीं है, हर ओर गंदगी फैली है।

धनबाद : 'न पानी की सुविधा, न कोई सुरक्षा व्यवस्था', बदहाली के आंसू रो रहा डोकरा स्टेशन👉👉 newsxpoz.com/dhn-dhokhra-… धनबाद स्टेशन से मात्र आठ किमी. की दूरी पर स्थित डोकरा स्टेशन में यात्रियों के लिए न तो शौचालय है, न ही बैठने की कोई व्यवस्था है और नहीं आने-जाने के लिए बने रास्ते की सफाई होती है।

NewsXpoz (@newsxpoz.bsky.social) 2025-05-01T05:35:22.182Z

यात्रियों को न तो पीने के पानी की सुविधा मिल रही है और न ही सुरक्षा के लिए रेलवे पुलिस बल (आरपीएफ) की तैनाती है। यात्रियों का कहना है कि यहां यात्रा करना जोखिम भरा और असुविधाजनक हो गया है। स्टेशन पर चारों ओर झाड़ियां फैली हुई है। डोकरा स्टेशन में यात्रियों के लिए न तो शौचालय है, न ही बैठने की कोई व्यवस्था है और नहीं आने-जाने के लिए बने रास्ते की सफाई होती है।

स्टेशन में नहीं है यात्री सुविधाएं : डोकरा स्टेशन पर यात्रियों के लिए न तो शौचालय है, न ही बैठने की कोई व्यवस्था है और नहीं आने-जाने के लिए बने रास्ते की सफाई होती है। जबकि रेलवे के द्वारा यहां टिकट काटने का ठेका भी दिया गया है। रात में यदि लाइट की व्यवस्था जरूरी है वरना जहरीले जीव-जंतु का वे शिकार बन सकते हैं।

डोकरा स्टेशन में रुकती हैं सवारी गाड़ियां : धनबाद-प्रधानखंता के बीच स्थित डोकरा स्टेशन में सवारी गाड़ियों का ही ठहराव है। इनमें आसनसोल-गोमो, गोमो-वर्द्धवान ईएमयू, आसनसोल-गया, गया-आसनसोल ईएमयू, बरकाकाना-गोमो-आसनसोल, वर्द्धवान-हटिया सवारी गाड़ी इत्यादि रुकती है।

जिससे रोजाना सैकड़ों यात्री यहां उतरते और चढ़ते हैं। दिन में लोगों को परेशानी तो नहीं होती है लेकिन शाम होने के बाद ही जैसे ही अंधेरा छा जाता है और जब ट्रेन आती है तब वहां उतरने वाले यात्रियों के सामने विकट स्थिति उत्पन्न हो जाती है। क्योंकि चारों ओर वहां अंधेरा छाया रहता है। वहीं रास्ते में फैली झाड़ियों के बीच से गुजरने में डर लगता है। पता नहींं रेलवे उन झाड़ियों को क्यों नहीं कटवाता है। रिपोर्ट : अमन्य सुरेश (8340184438)