धनबाद-NewsXpoz : देश के नागरिकों को दुश्मन के हमले से बचाने तथा आपातकालीन परिस्थिति में तैयार रहने के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को दिशा निर्देश दिए है। जिसके तहत प्रत्येक जिले में 7 मई 2025 को सिविल डिफेंस एक्सरसाइज और रिहर्सल का आयोजन करना निर्धारित हुआ है।
कोयले की राजधानी झारखंड के धनबाद में भी आपातकालीन स्थिति के लिए व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। जिले के सभी प्रमुख अस्पताल-डिस्पेंसरी, अग्निशमन विभाग, नगर निगम, बिजली विभाग, होमगार्ड, एनएसएस/एनसीसी कैडेट, रेड क्रॉस सोसाइटी जैसे संस्थानों को 7 मई को होने वाले पूर्वाभ्यास में सजग रहने को कहा गया है।
बुजुर्गों से आपात स्थिति में बचाव की जानकारी लें : युद्ध के दौरान आपात स्थितियों का मुकाबला करने के लिए अपने घर या आसपास के बुजुर्गों से दिशा निर्देश ले। जिन्होंने अपने जीवन काल में बांग्लादेश की आजादी और पाकिस्तान-चीन युद्ध के दौरान परिस्थितियों का सामना किया था। उनके संस्मरण आपको तथा आसपास के लोगों को आपातकालीन स्थिति में सुरक्षित रहने में मददगार साबित होंगे। क्योंकि उन्होंने पूर्व में युद्ध के दौरान भारत सरकार के निर्देशों तथा एहतियातों का पालन किया था।
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से राज्यों को जारी निर्देश में प्रमुख पांच बिंदुओं पर फोकस रखने को कहा गया है। तभी तो छात्र-छात्राओं सहित सभी आम नागरिकों को अपनी सुरक्षा और दुश्मन को चकमा में डालने के उपाय बताने का निर्देश जारी किया गया है। बुधवार को देशभर में होने वाले मॉक ड्रिल में कैसी-कैसी ट्रेनिंग दी जाएगी और उनका मकसद क्या होगा…
हवाई हमले की चेतावनी देने वाला सायरन बजाना (Activation of Air Raid Warning Sirens) : हवाई हमले की चेतावनी के लिए सायरन बजाकर नागरिकों को अलर्ट करने का अभ्यास किया जाएगा। सबको पता है कि सायरन की आवाज बहुत तेज होती है जिससे कि लोग तुरंत अलर्ट हो जाएं।
उद्देश्य : नागरिकों को तुरंत सूचित करना कि हवाई हमला, मिसाइल हमला या ड्रोन हमला जैसा खतरा हो सकता है, ताकि वे सुरक्षित स्थान पर जाएं। वह सुरक्षित स्थान बंकर, शेल्टर या घर की सुरक्षित इलाके हो सकते हैं।
प्रक्रिया : सायरन को केंद्रीय नियंत्रण कक्ष या सिविल डिफेंस अधिकारियों द्वारा सक्रिय किया जाता है। अलग-अलग ध्वनियां अलग-अलग संदेश दे सकती हैं, जैसे ‘खतरा शुरू’ या ‘खतरा समाप्त’। ड्रिल में सायरन को नकली खतरे के लिए बजाया जाता है ताकि लोग इसकी ध्वनि पहचान सकें और असली खतरे के वक्त तुरंत सतर्क होना देना सीखें।
सिविल डिफेंस ड्रिल में भूमिका : यह ड्रिल लोगों को सायरन की आवाज और उसका मतलब समझाने, साथ ही सुरक्षित स्थान में जाने जैसी त्वरित प्रतिक्रिया का अभ्यास कराने के लिए होती है।
उदाहरण : ड्रिल के दौरान, सायरन को बजाया जाता है, और नागरिकों को 2 मिनट के भीतर निकटतम शेल्टर में पहुंचने का अभ्यास करना होता है। सिविल डिफेंस टीमें यह जांचती हैं कि कितने लोग समय पर प्रतिक्रिया देते हैं।
नागरिकों को बुनियादी सिविल डिफेंस तकनीकों का प्रशिक्षण देना (Training Civilians, Including Students, in Basic Civil Defence Techniques) : पाकिस्तान से युद्ध की स्थिति में आम नागरिकों को सुरक्षा के बुनियादी उपाय सिखाए जाते हैं। बुधवार को विद्यार्थियों सहित आम नागरिकों को अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए बुनियादी सिविल डिफेंस तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
उद्देश्य : नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाना और आपात स्थिति में घबराहट के बजाय सही कदम उठाने के लिए तैयार करना।
प्राथमिक चिकित्सा : ट्रेनिंग के दौरान पट्टी बांधने, सीपीआर देने जैसे उपायों से घायलों की मदद करने का अभ्यास करवाया जाएगा।
आग बुझाना : छोटी आग को नियंत्रित करने के लिए अग्निशामक यंत्र का उपयोग करना सिखाया जाएगा।
शेल्टर में जाना : हवाई हमले या आपदा के दौरान सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का अभ्यास करवाया जाएगा।
संचार : आपातकाल में घबराने के बजाय अधिकारियों या परिवार से कैसे संपर्क किया जाए, इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी। स्कूलों में बच्चों को उम्र के हिसाब से सरल तकनीकें सिखाई जाएंगी, जैसे नीचे झुकना और सिर को ढकना जिसे ‘डक एंड कवर’ टेक्नीक कहा जाता है। ड्रिल में नकली परिस्थितियां पैदा की जाती हैं। जैसे कि नकली बम हमला किया जाएगा और लोग हमले में कैसी प्रतिक्रिया दें, इसका अभ्यास करेंगे।
सिविल डिफेंस ड्रिल में भूमिका : यह सुनिश्चित करता है कि हर व्यक्ति, खासकर युवा, आपात स्थिति में सही प्रतिक्रिया दे सके और सामुदायिक सुरक्षा में योगदान दे।
तात्कालीन संदर्भ : इसमें साइबर हमलों, आतंकवादी हमलों, या महामारी से निपटने की जानकारी भी शामिल हो सकती है।
उदाहरण : एक स्कूल में ड्रिल के दौरान, छात्रों को सायरन सुनते ही अपनी मेज के नीचे छिपने और फिर निकटतम शेल्टर तक व्यवस्थित रूप से जाने का अभ्यास कराया जाता है। शिक्षकों को फर्स्ट एड किट का उपयोग सिखाया जाता है।
आपातकालीन स्थिति के दौरान ब्लैकआउट प्रोटोकॉल को लागू करना (Implementation of crash blackout protocols) : सिविल डिफेंस ड्रिल में ब्लैकआउट प्रॉटोकॉल लागू करने का मतलब है युद्ध, हवाई हमला या अन्य बड़े खतरे के दौरान सभी बत्तियां बुझाना। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें रात के समय या विशेष परिस्थितियों में घरों, इमारतों, सड़कों आदि की बत्तियों को बंद या ढक दिया जाता है ताकि दुश्मन के हवाई हमलों या निगरानी से बचा जा सके।
उद्देश्य : दुश्मन के विमानों या ड्रोन को शहरों, कस्बों या महत्वपूर्ण स्थानों की पहचान करने से रोकना। रोशनी के बिना, किसी खास जगह को टार्गेट करना मुश्किल हो जाता है।
प्रक्रिया : ट्रेनिंग के दौरान सभी बाहरी और आंतरिक रोशनी को बंद करना या पर्दों अथवा काले कपड़े से फटाफट ढकना होता है। स्ट्रीट लाइट्स, वाहनों की हेडलाइट्स, और रोशनी के अन्य स्रोतों को कंट्रोल करना सिखाया जाता है। अस्पताल जैसे आवश्यक सेवाओं की जगहों में बिल्कुल जरूरी और ढकी हुई रोशनी का उपयोग करने की ट्रेनिंग दी जाती है।
सिविल डिफेंस ड्रिल में भूमिका : यह ड्रिल नागरिकों और अधिकारियों को प्रशिक्षित करती है कि आपात स्थिति में ब्लैकआउट को तुरंत और प्रभावी ढंग से लागू कैसे करना है।
तात्कालिक संदर्भ : भारत के हमलों के जवाब में पाकिस्तान न केवल हवाई हमले कर सकता है बल्कि साइबर हमला, बिजली ग्रिड पर हमला जैसे विनाशकारी कदम उठा सकता है।
उदाहरण : ड्रिल के दौरान, एक नकली हवाई हमले की चेतावनी दी जा सकती है, और नागरिकों को 5 मिनट के भीतर सभी रोशनी बंद करने का अभ्यास कराया जाता है। सिविल डिफेंस टीमें यह जांचती हैं कि प्रोटोकॉल का पालन हो रहा है या नहीं।यह प्रक्रिया नागरिक सुरक्षा और तैयारी का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो बड़े पैमाने पर जीवन और संपत्ति की रक्षा करती है।
महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और प्रतिष्ठानों का प्रारंभिक छलावरण (Early-Stage Camouflaging of Critical Infrastructure and Installations) : यह प्रक्रिया पावर प्लांट, वाटर सप्लाई, सैन्य अड्डे, अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर को दुश्मन की नजरों से छिपाने के लिए छलावरण (कैमोफ्लाज) तकनीकों का उपयोग करती है ताकि हवाई हमले या निगरानी में इन्हें निशाना न बनाया जा सके।
उद्देश्य : महत्वपूर्ण सुविधाओं को हवाई या उपग्रह निगरानी से बचाना ताकि वे सुरक्षित रहें और कार्य करते रहें।
छलावरण तकनीकें : इमारतों को हरा, भूरा जैसे प्राकृतिक रंगों से रंगना या जाल से ढकना। कृत्रिम पेड़-पौधों, मिट्टी, या अन्य सामग्री से ढांचे को प्राकृतिक दिखाना। रोशनी को कम करना या दिशा बदलना ताकि रात में दिखाई न दे। प्रारंभिक चरण में यह कार्य खतरे की आशंका होने पर तुरंत शुरू किया जाता है। ड्रिल में सिविल डिफेंस टीमें और संबंधित कर्मचारी अभ्यास करते हैं कि कैसे जल्दी से छलावरण लागू करना है।
सिविल डिफेंस ड्रिल में भूमिका : यह सुनिश्चित करता है कि टीमें और स्थानीय कर्मचारी छलावरण सामग्री और तकनीकों का उपयोग करने में निपुण हों।
तात्कालिक संदर्भ : ड्रोन और उपग्रह इमेजरी के युग में यह तकनीक और अधिक जटिल हो गई है, जिसमें थर्मल इमेजिंग और रडार से बचने की रणनीतियां भी शामिल हैं।
उदाहरण : एक ड्रिल में एक बिजली संयंत्र को हरे रंग के जाल से ढकने और आसपास कृत्रिम पेड़ लगाने का अभ्यास किया जाता है। टीमें यह जांचती हैं कि हवाई नजरिए से प्लांट कितना छिपा है।
निकासी योजनाओं को अपडेट करना और उनका अभ्यास करना (Updating and Rehearsing Evacuation Plans) : यह प्रक्रिया आपातकालीन स्थिति में लोगों को खतरे वाले क्षेत्र से सुरक्षित स्थान पर ले जाने की योजनाओं को अपडेट करने और उनका अभ्यास करने से संबंधित है।
उद्देश्य : यह सुनिश्चित करना कि आपात स्थिति में लोग जल्दी, सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से निकल सकें, जिससे जान-माल का नुकसान कम हो।
प्रक्रिया : सड़कों, पुलों जैसे निकासी मार्गों की जांच करना और बाधाओं को हटाना। शेल्टर, कैंप जैसे सुरक्षित स्थानों की उपलब्धता और क्षमता का पता लगाते रहना। बुजुर्ग, बच्चे, विकलांग जैसे विशेष जरूरतों वाले लोगों के लिए व्यवस्था करना।
अभ्यास : नकली निकासी ड्रिल आयोजित किया जाएगा जिसमें तय रास्तों से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाए जाएंगे। इस दौरान यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सबकुछ अच्छे तालमेल के साथ बिल्कुल सटीक हो। ड्रिल में, स्थानीय प्रशासन, सिविल डिफेंस टीमें, और नागरिक मिलकर काम करेंगे।
सिविल डिफेंस ड्रिल में भूमिका : यह सुनिश्चित करता है कि निकासी योजनाएं वास्तविक और प्रभावी हों, और लोग उन्हें समझकर पालन कर सकें।
तत्कालीन संदर्भ : इसमें ट्रैफिक प्रबंधन, ऐप्स या अलर्ट जैसे डिजिटल संचार के लिए विशेष योजनाएं शामिल हो सकती हैं।
उदाहरण : निवासियों को नकली बम हमले के बाद निकटतम शेल्टर तक पैदल या वाहन से जाने का अभ्यास कराया जाएगा। सिविल डिफेंस टीमें ट्रैफिक जाम और भीड़ को नियंत्रित करने का अभ्यास करेंगी।