नई दिल्ली : डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि अमेरिका अपने सहयोगी देश दक्षिण कोरिया के साथ परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी की तकनीक साझा करेगा। ट्रंप के इस ऐलान से पहले दोनों देशों ने कहा था कि वो व्यापक व्यापार समझौते पर पहुंच गए हैं। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग ने इस दौरान कहा कि उनका लक्ष्य अमेरिका के साथ गठबंधन को आधुनिक बनाना है।
म्युंग ने अमेरिका पर वित्तीय बोझ कम करने के लिए सैन्य खर्च बढ़ाने की योजना का भी जिक्र किया है। दक्षिण कोरियाई नेता ने कहा कि अगस्त में जब उन्होंने परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों के बारे में आखिरी बार बात की थी, तब शायद कोई गलतफहमी हुई होगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार हथियारों के बजाय परमाणु ईंधन पर विचार कर रही है। ली ने कहा कि अगर दक्षिण कोरिया परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों से लैस हो जाता है, तो इससे क्षेत्र में अमेरिकी गतिविधियों को मदद मिल सकती है।
अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी तकनीक को व्यापक रूप से सेना के पास मौजूद सबसे संवेदनशील और अत्यधिक सुरक्षित तकनीकों में से एक माना जाता है। अमेरिका इस जानकारी को बेहद गोपनीय रखता है। ट्रंप का यह बयान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी बैठक से पहले आया है। चीन पहले से ही परमाणु पनडुब्बी से लैस देश है।
इस बीच यहां यह भी बता दे कि, ट्रंप के दक्षिण कोरिया दौरे के दौरान उत्तर कोरिया ने क्रूज मिसाइलों का परीक्षण किया हैं जो उसकी बढ़ती सैन्य क्षमताओं का ताजा प्रदर्शन है। दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के बीच तनातनी जगजाहिर है। दक्षिण कोरिया अमेरिका का करीबी और सहयोगी देश हैं।
परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियां परमाणु रिएक्टरों का उपयोग करती हैं, जिससे वो डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की तुलना में लंबे समय तक पानी के भीतर रह सकती हैं। ये लंबी दूरी तक तेज गति बनाए रख सकती हैं। परमाणु पनडुब्बी को तैनात करने से पहले उसमें यूरेनियम ईंधन की इतनी मात्रा भरी जाती है कि वह कई वर्षों तक चल सकती हैं।
