नई दिल्ली : मंगल ग्रह की सतह पर विशाल पानी के भंडार मौजूद हैं। इतना पानी महासागर बनाने के लिए पर्याप्त हैं। नासा की ओर से एकत्र आंकड़ों के विश्लेषण से इसका खुलासा हुआ है। शोध में कहा गया है कि तरल पानी का भंडार सतह से लगभग 11.5 से 20 किलोमीटर नीचे मंगल ग्रह की क्रस्ट के बीच में चट्टानों में छोटी दरारों और छिद्रों में स्थित है। इस वजह से इसे भविष्य में मंगल ग्रह पर कॉलोनी बनाने की योजनाओं में आपूर्ति के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
अनुसंधान के नतीजों के अनुसार, यहां मौजूद भूजल का क्षेत्रफल पृथ्वी के आकार का लगभग आधा है। यह पूरे मंगल ग्रह में दो किलोमीटर की गहराई तक कवर करती है। अमेरिका के बर्कले में कैलिफोर्निया विवि (यूसी) के शोधकर्ताओं एवं अन्य वैज्ञानिकों ने कहा है कि तीन अरब साल पहले मंगल ग्रह से महासागर गायब हो गए थे, लेकिन ताजा अध्ययन में अच्छी खबर सामने आई है। यह अध्ययन जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है।
अब तक ऐसा माना जाता था कि मंगल का चुंबकीय क्षेत्र ध्वस्त होने के बाद सौर हवाओं ने इसके वातावरण को नष्ट कर दिया था। उस दौरान ग्रह का पानी अंतरिक्ष में खो गया। ताजा संकेत मिले हैं कि अधिकांश पानी अंतरिक्ष में नहीं गया, बल्कि भूपर्पटी में छन कर जमा हो गया। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि मंगल ग्रह पर ध्रुवों पर जमे हुए पानी के अलावा अभी भी तरल पानी मौजूद है। शोधकर्ताओं ने बताया कि मंगल ग्रह पर पानी जमीन की सतह से इतना अधिक नीचे है कि इसे ऊपर लाना एक समस्या है। यहां तक कि पृथ्वी पर भी एक किलोमीटर गहरा छेद करना एक चुनौती है।
अध्ययन के लेखक माइकल मंगा ने कहा कि पृथ्वी पर गहरी खदानों में जीवन पाया जाता है। समुद्र की तलहटी में भी जीवन मौजूद है। लेकिन हमें मंगल ग्रह पर जीवन का कोई सबूत नहीं मिला है। यह बात अब तक नहीं समझी जा सकी है।