भूकंप के जोरदार झटकों से सहमा जापान, लोगों में फैला खौफ

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टोक्यो : जापान में शनिवार देर रात भूकंप का जोरदार झटका महसूस किया गया। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 6.0 मापी गई। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र 50 किलोमीटर की गहराई में था। NCS ने X पर एक पोस्ट में बताया, “भूकंप की तीव्रता: M 6.0, समय: 04/10/2025 20:51:09 IST, अक्षांश: 37.45 N, देशांतर: 141.52 E, गहराई: 50 Km, स्थान: होंशू, जापान के पूर्वी तट के पास।”

दरअसल, जापान एक अत्यंत सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र में है। यह प्रशांत महासागर के ‘रिंग ऑफ फायर’ नामक ज्वालामुखीय क्षेत्र पर मौजूद है। जापान के पास दुनिया का सबसे सघन भूकंपीय नेटवर्क है, जिसके कारण वे कई भूकंपों को रिकॉर्ड करने में सक्षम हैं।

द्वीप समूह में लगातार कम तीव्रता के झटके और कभी-कभार ज्वालामुखी गतिविधियां महसूस होती रहती हैं। विनाशकारी भूकंप, जिनके कारण अक्सर सुनामी आती है, इस क्षेत्र में हर सदी में कई बार आते हैं। हाल के कुछ प्रमुख भूकंपों में 2024 का नोटो भूकंप, 2011 का तोहोकू भूकंप और सुनामी, 2004 का चूएत्सु भूकंप और 1995 का ग्रेट हनशिन भूकंप शामिल हैं।

जापान में भूकंप की तीव्रता मापने के लिए आमतौर पर परिमाण (Magnitude) के बजाय भूकंपीय तीव्रता (Seismic Intensity) मापने वाला शिंडो स्केल (Shindo Scale) इस्तेमाल किया जाता है। यह अमेरिका में इस्तेमाल होने वाले संशोधित मरकली तीव्रता पैमाने (Modified Mercalli intensity scale) या चीन के लिएडू स्केल (Liedu scale) के समान है। इसका मतलब है कि यह पैमाना किसी दिए गए स्थान पर भूकंप की तीव्रता को मापता है, न कि रिक्टर स्केल की तरह, जो भूकंप के उपरिकेंद्र पर जारी ऊर्जा को मापता है।

अन्य भूकंपीय तीव्रता पैमानों के विपरीत, जिनमें आमतौर पर तीव्रता के बारह स्तर होते हैं, जापान मौसम विज्ञान एजेंसी द्वारा उपयोग किए जाने वाले शिंडो (शाब्दिक रूप से झटकों की डिग्री) में दस स्तर होते हैं। यह शिंडो शून्य (बहुत हल्के झटके) से लेकर शिंडो सात (गंभीर भूकंप) तक होता है। शिंडो पांच और छह वाले भूकंपों के लिए “कमजोर” या “मजबूत” जैसे मध्यवर्ती स्तर होते हैं, जो उनके द्वारा होने वाली क्षति की डिग्री पर निर्भर करता है। शिंडो चार और उससे कम पर मापे गए भूकंपों को कमजोर से हल्का माना जाता है, जबकि पांच और उससे अधिक पर मापे गए भूकंपों से फर्नीचर, दीवार की टाइलों, लकड़ी के घरों, प्रबलित कंक्रीट की इमारतों, सड़कों, गैस और पानी के पाइपों को भारी नुकसान हो सकता है।