रोहतक : रोहतक जिले में बुधवार रात 12:46 बजे 3.3 तीव्रता का भूकंप आया। धरती के नीचे इसकी गहराई 10 किलोमीटर रही। भूकंप आने के बाद राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी दी। इससे पहले 11 जुलाई को झज्जर जिले में 3.7 तीव्रता का भूकंप आया था।
इससे पहले 11 जुलाई को झज्जर जिले में 3.7 तीव्रता का भूकपं आया था। शाम 7 बजकर 49 मिनट पर भूकंप का झटका महसूस हुआ था। इसकी तीव्रता 3.7 रही। भूकंप का केंद्र छारा गांव रहा। इसकी गहराई 10 किलोमीटर थी। इसका अक्षांश 28.68 और देशांतर 76.72 रहा था। भूकंप के झटके झज्जर के अलावा झज्जर के बेरी, बहादुरगढ़, रोहतक, जींद तक महसूस किए गए।
वहीं, झज्जर में 10 जुलाई को भी सुबह दो मिनट के अंतराल में दो भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। पहला झटका 9 बजकर 4 मिनट पर भूकंप का झटका महसूस किया गया था, जबकि दूसरा 9 बजकर 6 मिनट पर महसूस किया गया था। लगातार दूसरे दिन 11 जुलाई को भी भूकंप का झटका महसूस किया गया था।
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।