इंडोनेशिया में फिर कांपी धरती, महसूस किए भूकंप के तेज झटके

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नई दिल्ली : इंडोनेशिया में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। बुधवार तड़के देश के सुलावेसी द्वीप में 6.2 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया। देश की मौसम विज्ञान, जलवायु और भूभौतिकी एजेंसी (BMKG) ने इसकी पुष्टि की है। हालांकि, राहत की बात यह है कि इस भूकंप के बाद सुनामी का कोई खतरा नहीं बताया गया है। भूकंप से किसी तरह के नुकसान या हताहत होने की तत्काल कोई सूचना नहीं है।

इंडोनेशिया एशिया और ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के बीच स्थित है और प्रशांत महासागर के किनारे बसा हुआ है। इस क्षेत्र को रिंग ऑफ फायर कहा जाता है। रिंग ऑफ फायर वह इलाका है, जहां विश्व के लगभग 90 फीसदी भूकंप आते हैं और 75 प्रतिशत ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं। इंडोनेशिया इसी पट्टी में आता है, इसलिए यहां लगातार टेक्टोनिक प्लेट्स में हलचल बनी रहती है। इंडोनेशिया की आबादी लगभग 27 करोड़ से अधिक है और लोग बड़े पैमाने पर तटीय इलाकों और द्वीपों पर रहते हैं। भूकंप और सुनामी का सबसे ज्यादा असर इन्हीं इलाकों पर होता है।

इंडोनेशिया कई बड़ी प्लेट्स के बीच स्थित है, जैसे इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट, यूरेशियन प्लेट और पैसिफिक प्लेट। जब ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं या खिसकती हैं तो भूकंप आते हैं। इंडोनेशिया की धरती के नीचे प्लेट्स का यह लगातार दबाव उसे दुनिया का सबसे भूकंप संवेदनशील क्षेत्र बनाता है।

इंडोनेशिया का अधिकांश हिस्सा द्वीपों से बना है और इसके चारों ओर समुद्र है। जब समुद्र की गहराई में भूकंप आता है तो वह सुनामी का रूप ले लेता है। 2004 की हिंद महासागर सुनामी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसमें इंडोनेशिया के आचेह प्रांत में लाखों लोग मारे गए थे।

इंडोनेशिया को ज्वालामुखियों का देश भी कहा जाता है। यहां लगभग 130 सक्रिय ज्वालामुखी हैं। जब ज्वालामुखीय गतिविधि होती है तो उसके साथ भूकंप भी आते हैं। ज्वालामुखी फटने से भूमि के नीचे दबाव बदलता है और धरती कांप उठती है। इंडोनेशिया में हर साल हजारों छोटे-बड़े भूकंप दर्ज किए जाते हैं। इनमें से कई इतने हल्के होते हैं कि लोगों को महसूस भी नहीं होते, लेकिन कई बार यह 7 या उससे अधिक तीव्रता तक पहुंच जाते हैं।