नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), अगरतला उप-क्षेत्रीय कार्यालय ने त्रिपुरा के उत्पल कुमार चौधरी के खिलाफ चल रही जांच के सिलसिले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत त्रिपुरा, दिल्ली, हरियाणा और पश्चिम बंगाल स्थित विभिन्न परिसरों में छापेमारी की है।
ईडी ने मुख्य आरोपी उत्पल कुमार चौधरी के खिलाफ पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा दर्ज कई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी। आरोप है कि इस ‘नटवरलाल’ ने 200 करोड़ रुपये से अधिक की लूट की है। इसके पास गृह मंत्रालय, उपभोक्ता विभाग व उच्च शिक्षा निदेशालय सहित कई सरकारी विभागों के फर्जी पहचान पत्र मिले हैं।
ईडी की जांच से पता चला कि आरोपी ने संस्थाओं/संगठनों का एक जाल स्थापित किया था, जिनके नाम सरकारी या सार्वजनिक उपक्रमों की संस्थाओं जैसे त्रिपुरा उच्च शिक्षा निदेशालय, ब्रिज एंड रूफ कंपनी और भारतीय परिधान परिषद निदेशालय से मिलते-जुलते थे।
एक प्रतिष्ठित सरकारी संस्थाओं और सार्वजनिक उपक्रमों के समान या उनसे मिलते-जुलते संस्थाओं या कंपनी के नामों को शामिल करके उसने जनता को ऐसी नकली संस्थाओं में पैसा लगाने के लिए प्रेरित किया था। उसने खुद को भारत सरकार में उच्च पदस्थ अधिकारी के रूप में प्रतिरूपण किया था।
आरोपी ने सरकारी अनुबंधों का लाभ उठाने के झूठे आश्वासन के आधार पर विभिन्न व्यक्तियों को धोखा दिया था। खुद को त्रिपुरा के उच्च शिक्षा निदेशालय के प्रमुख के रूप में पेश करते हुए, उसने छात्रों को त्रिपुरा से उनके संस्थानों में भेजने के वादे पर कई शिक्षा संस्थानों को धोखा दिया। त्रिपुरा के उच्च शिक्षा निदेशालय के तहत विभिन्न संस्थानों में मध्याह्न भोजन का टेंडर देने के झूठे वादे पर कई व्यक्तियों के साथ धोखाधड़ी की।
उसने धोखाधड़ी से मेसर्स चलतखली स्वामीजी सेवा संघ नामक एक गैर सरकारी संगठन का नियंत्रण भी अपने हाथ में ले लिया था, जो विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम के तहत पंजीकृत था। उसने इस संगठन की मदद से विभिन्न व्यक्तियों के धन को वैध बनाने के लिए उसका बैंक खाता खोला था। यह पाया गया कि ऐसे बैंक खातों में लेनदेन के घुमावदार जाल के माध्यम से झूठी प्रविष्टियों के माध्यम से धन की लूट की गई थी।
ईडी की प्राथमिक जांच से पता चलता है कि चलतखली स्वामीजी सेवा संघ के माध्यम से हरियाणा, कोलकाता और दिल्ली स्थित विभिन्न संस्थाओं/संगठनों को किराए के बैंक खातों के साथ रबर के फर्जी कारोबार के नाम पर 200 करोड़ रुपये से अधिक की लूट की गई है।
उत्पल कुमार चौधरी और उनके सहयोगियों द्वारा विभिन्न राज्यों में त्रिपुरा में दिखाया गया रबर का कारोबार फर्जी पाया गया, क्योंकि रबर की वास्तविक बिक्री/खरीद नहीं हुई थी। केवल कागजों पर बिक्री/खरीद दिखाई गई थी। रबर के सामान के परिवहन का कोई विवरण भी नहीं मिला।
उत्पल कुमार चौधरी की त्रिपुरा सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से घनिष्ठता थी, जो उसे विभिन्न व्यवसायियों से उच्च पदस्थ अधिकारी के रूप में परिचय कराते थे। व्यवसायियों के साथ इस तरह के परिचय के माध्यम से, उसने विभिन्न सरकारी अनुबंध दिलाने के झूठे वादों पर उन्हें धोखा दिया था। पूछताछ से पता चला कि त्रिपुरा सरकार के ऐसे वरिष्ठ अधिकारियों को बड़ी रकम का भुगतान किया गया था।
तलाशी के दौरान, विभिन्न आपत्तिजनक डिजिटल और भौतिक साक्ष्य, त्रिपुरा सरकार के विभिन्न विभागों जैसे खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता विभाग, उच्च शिक्षा निदेशालय, उच्च शिक्षा निदेशालय प्राथमिक विद्यालय, अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के स्टाम्प और गृह मंत्रालय, भारत सरकार के फर्जी पहचान पत्र मिले हैं। उन्हें जब्त कर लिया गया है।
इसके अलावा, सात लाख रुपये की नकदी जब्त की गई। लगभग 60 लाख रुपये की कुल शेष राशि वाले बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है। त्रिपुरा के विभिन्न स्थानों में अचल संपत्ति और भूमि में निवेश के संबंध में आपत्तिजनक सबूत मिले हैं। उत्पल कुमार चौधरी वर्तमान में हरियाणा जेल में है।