जीएसटी परिषद की बैठक आज से, दो स्लैब पर लग सकती है मुहर

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नई दिल्ली : जीएसटी परिषद की बुधवार और बृहस्पतिवार को होने वाली बैठक के साथ अगली पीढ़ी के कर सुधारों की योजनाबद्ध शुरुआत हो जाएगी। इससे आने वाले महीनों में अर्थव्यवस्था पूरी तरह से खुली और पारदर्शी हो जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी 2.0 से कारोबारियों के अनुपालन बोझ में और कमी आएगी। छोटे व्यवसायों के लिए फलना-फूलना आसान हो जाएगा।

तमिलनाडु में एक कार्यक्रम में वित्त मंत्री ने कहा, पीएम नरेंद्र मोदी ने अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए एक टास्क फोर्स के गठन की घोषणा की है। इसमें विनियमों को सरल बनाने और अनुपालन लागत घटाने पर जोर दिया गया है। स्टार्टअप और एमएसएमई के लिए अधिक सक्षम तंत्र बनाने का स्पष्ट अधिकार दिया गया है।

सीतारमण ने कहा, देश विकसित भारत-2047 दृष्टिकोण की ओर आगे बढ़ रहा है। बैंकों को न सिर्फ कर्ज का विस्तार करना होगा, बल्कि बुनियादी ढांचे के विकास को रफ्तार देनी होगी। इसके लिए एमएसएमई को समय पर और जरूरत आधारित वित्तपोषण सुनिश्चित करना होगा। बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों को औपचारिक बैंकिंग दायरे में लाना होगा। विविध आवश्यकताओं को पूरा करना होगा, जहां बैंकिंग चैनलों का समर्थन महत्वपूर्ण है।

दुनिया की दिग्गज कार कंपनियों टेस्ला, बीएमडब्ल्यू, बीवाईडी और मर्सिडीज-बेंज को जीएसटी के मोर्चे पर बड़ा झटका लग सकता है। केंद्र सरकार के पैनल ने 46,000 डॉलर (40 लाख रुपये तक) की महंगी एवं लग्जरी इलेक्ट्रिक कारों पर 18 फीसदी तक जीएसटी लगाने का प्रस्ताव दिया है।

पैनल ने 20 लाख से 40 लाख रुपये की कीमत वाले ई-वाहनों के लिए जीएसटी की दर को वर्तमान 5 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी करने की सिफारिश की है। 40 लाख रुपये से अधिक कीमत वाली ई-कारों पर 28 फीसदी टैक्स लगाने का भी प्रस्ताव रखा है। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि ऐसे वाहन उच्च वर्ग के लिए हैं। ये घरेलू स्तर पर निर्मित होने के बजाय बड़े पैमाने पर आयात किए जाते हैं।

चूंकि, 28 फीसदी का स्लैब खत्म हो जाएगा, इसलिए जीएसटी परिषद के पास ई-वाहनों पर टैक्स बढ़ाकर 18 फीसदी करने या उन्हें विलासिता वस्तुओं वाले 40 फीसदी की श्रेणी में रखने का विकल्प रह गया है। भारत का ईवी बाजार अभी छोटा है, लेकिन तेज रफ्तार से बढ़ रहा है।

ई-कारों पर भारी-भरकम जीएसटी का प्रस्ताव घरेलू कंपनियों को भी प्रभावित कर सकता है। पर यह तब, जब कीमतें 20 लाख से ऊपर होंगी। अभी महिंद्रा और टाटा मोटर्स 20 लाख से कम कीमत वाले ई-वाहन ही बेच रही हैं। टेस्ला ने भारत में वाई मॉडल 65,000 डॉलर की शुरुआती कीमत पर लॉन्च किया है। बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज-बेंज और बीवाईडी भी महंगी एवं लग्जरी सेगमेंट ही कारें बेचती हैं।

जीएसटी के प्रस्तावित दर युक्तिसंगत के बावजूद राज्य चालू वित्त वर्ष में लाभान्वित होते रहेंगे। इन्हें मार्च, 2026 तक राज्य जीएसटी में कम-से-कम 10 लाख करोड़ मिलेंगे। इसके साथ ट्रांसफर के जरिये भी 4.1 लाख करोड़ रुपये की रकम मिलेगी। एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा इस कर की अनूठी राजस्व साझाकरण संरचना के कारण होगा। इसके तहत, जीएसटी राजस्व केंद्र और राज्यों के बीच समान रूप से साझा किया जाता है। इसमें प्रत्येक को संग्रह का 50 फीसदी हिस्सा मिलता है।

कर हस्तांतरण की व्यवस्था के तहत केंद्र का 41 फीसदी हिस्सा राज्यों को वापस जाता है। इसका मतलब है कि एकत्रित जीएसटी के प्रत्येक 100 रुपये में से राज्यों को लगभग 70.5 रुपये मिलते हैं। यह कुल जीएसटी राजस्व का 70 फीसदी है। जीएसटी परिषद के निर्णय के अनुसार, राज्यों को जीएसटी लागू होने के बाद पांच वर्षों में 9.14 लाख करोड़ का मुआवजा मिला है।

जीएसटी में सुधारों के तहत 2,500 रुपये से अधिक मूल्य के परिधानों पर टैक्स बढ़ाकर 18 फीसदी के उच्च स्लैब में रखने के सरकार के प्रस्ताव से संगठित निर्माता और मध्य वर्ग के उपभोक्ता प्रभावित होंगे। भारतीय वस्त्र निर्माता संघ (सीएमएआई) ने मंगलवार को कहा, विभिन्न क्षेत्रों से बार-बार आश्वासन मिलने के बावजूद ऐसी खबरें हैं कि 2,500 रुपये से अधिक मूल्य के परिधानों पर मौजूदा 12 फीसदी की जगह अब 18 फीसदी जीएसटी लगने की संभावना है।

अगर ऐसा हुआ तो यह पहले ही अमेरिकी टैरिफ संकट से जूझ रहे उद्योग के लिए मौत की घंटी साबित होगी। मध्य वर्ग के लिए आवश्यक ऊनी परिधानों की लगभग पूरी शृंखला की कीमत वर्तमान में 3,500 से 7,000 रुपये के बीच है। संघ ने कहा, ऐसे परिधानों को 18 फीसदी के कर दायरे में डालने का मतलब होगा कि मध्य वर्ग को ठंड में ज्यादा टैक्स देना होगा। सीएमएआई भारतीय परिधान उद्योग का एक संघ है, जिसके 5,000 से ज्यादा सदस्य हैं। इसके सदस्यों में निर्माता, निर्यातक, ब्रांड और सहायक उद्योग हैं।