उपसभापति ने CISF की तैनाती के आरोप को किया खारिज

Hariwansh-CISF

नई दिल्ली : राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने स्पष्ट किया कि सीआईएसएफ का कोई भी जवान सदन में तैनात नहीं किया गया था। मंगलवार को राज्यसभा में उस समय तीखी बहस देखी गई, जब कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने यह आरोप लगाया कि सदन में विपक्षी सांसदों के विरोध को रोकने के लिए सीआईएसएफ के जवान तैनात किए गए।

उपसभापति हरिवंश ने यह भी चिंता जताई कि खरगे ने जो पत्र उन्हें लिखा था, वह मीडिया को भेज दिया गया जबकि वह एक ‘गोपनीय पत्राचार’ था और उन्हें मिलने से पहले ही सार्वजनिक कर दिया गया। सदन में बहस उस समय और गरम हो गई जब खरगे ने आरोप लगाया कि विपक्षी सांसदों को ऐसे रोका गया जैसे वे आतंकवादी हों। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सदन को उपसभापति चला रहे हैं या गृह मंत्री अमित शाह, जिनके अंतर्गत सीआईएसएफ काम करती है।

इस बयान पर सत्ता पक्ष ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। सदन के नेता जे पी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस को विपक्ष में रहने के लिए उनसे ट्यूशन लेनी चाहिए, क्योंकि वे अब कई दशकों तक विपक्ष में ही रहेंगे। उन्होंने विपक्ष के व्यवहार को अराजक बताया। इस टिप्पणी पर विपक्षी सांसद खड़े होकर विरोध जताने लगे। इसके बाद सदन को पहली बार दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया। लेकिन दोबारा शुरू होने पर भी बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर हंगामा जारी रहा और कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।

सुबह 11 बजे जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई, उपसभापति हरिवंश ने खरगे के पत्र का जिक्र करते हुए अफसोस जताया कि इसमें गलत आरोप लगाए गए कि सदन में सीआईएसएफ तैनात की गई थी और इससे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ। हरिवंश ने कहा, पीठ की गरिमा यह अनुमति नहीं देती कि ऐसा पत्र मीडिया को भेजा जाए। उन्होंने यह भी कहा कि लगातार व्यवधान एक चिंताजनक स्थिति है और कई सदस्य नियम 235 और 238 का उल्लंघन कर रहे हैं।