नई दिल्ली : प्रख्यात हिंदी लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। हिंदी जगत के लिए ये एक बड़ी क्षति मानी जा रही है। विनोद कुमार शुक्ल ने मंगलवार की शाम करीब 04.58 बजे एम्स रायपुर में अंतिम सांस ली। अस्पताल ने इस बारे में जानकारी की है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते महीने 1 नवंबर को विनोद कुमार शुक्ल से बात की थी और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी।
PM मोदी ने जताया दुख : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने लिखा- “ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।”
बेटे ने दी निधन की जानकारी : विनोद कुमार शुक्ल के बेटे शाश्वत शुक्ल ने अपने पिता के निधन के बारे में जानकारी दी है। शाश्वत ने बताया है कि सांस लेने में समस्या होने के कारण 2 दिसंबर को विनोद कुमार शुक्ल को रायपुर एम्स में भर्ती कराया गया था। यहां मंगलवार को शाम में उन्होंने अंतिम सांस ली। बता दें विनोद कुमार शुक्ल के परिवार में उनकी पत्नी, बेटा शाश्वत और एक बेटी है।
शाश्वत शुक्ल की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, विनोद कुमार शुक्ल के पार्थिव शरीर को पहले उनके निवास स्थान पर ले जाया जाएगा। इसके बाद जल्द ही उनके अंतिम संस्कार के बारे में जानकारी साझा की जाएगी। बीते अक्तूबर महीने में विनोद कुमार शुक्ल को रायपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जब उनकी तबीयत में सुधार हुई तो उन्हें छुट्टी दे दी गई थी। तब से उनका इलाज घर पर ही हो रहा था। बीते दो दिसंबर को विनोद कुमार शुक्ल की तबीयत फिर से बिगड़ गई जिसके बाद उन्हें रायपुर एम्स ले जाया गया। यहीं उनका इलाज किया जा रहा था।
59 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से हुए थे सम्मानित : विनोद कुमार शुक्ल ने ‘नौकर की कमीज’, ‘खिलेगा तो देखेंगे’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ और ‘एक चुप्पी जगह’ जैसे कई उपन्यासों की रचना की थी। उन्हें साल 2025 में ही 59 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
