नई दिल्ली : भारतीय सेना लगातार तेजी से अपनी ताकत में इजाफा करती जा रही है। अब भारतीय सेना ने अपने संगठनात्मक ढांचे और युद्ध संचालन क्षमता को आधुनिक युग की मांगों के अनुरूप बनाने के लिए रुद्र ब्रिगेड नामक “ऑल-आर्म्स” ब्रिगेड की स्थापना करने का निर्णय लिया है।
“रुद्र” का अर्थ है हिंसा, विध्वंस या तूफानी शक्ति, जो बतलाता है कि यह ब्रिगेड किसी एक हथियार-प्रकार तक सीमित नहीं बल्कि बहु-हथियार एवं बहु-क्षेत्रीय युद्ध संचालन के लिए सक्षम होगा।
भारत की सीमाओं पर चीन व पाकिस्तान के साथ लगातार बदलते प्रतिद्वंदी माहौल ने सेना को तेजी, लचीलापन और आधुनिक उपकरणों से लैस बल-संरचना की आवश्यकता से अवगत कराया है। जनरल Upendra Dwivedi (सेनाध्यक्ष) ने 26 जुलाई 2025 को घोषणा की है कि रुद्र ब्रिगेडें अस्तित्व में लाई जा रही हैं।
- एक सामान्य ब्रिगेड तीन इन्फैंट्री बटालियन या बराबर की रेजिमेंटों से मिलकर बनती है, जिसमें लगभग 3,000–3,500 सैनिक होते हैं।
- रुद्र ब्रिगेड में इस पारंपरिक मॉडल से हटकर इन्फैंट्री, मैकेनाइज़्ड इन्फैंट्री, आर्मर (टैंक), आर्टिलरी, स्पेशल फोर्सेस, ड्रोन व अनमैंड एयर सिस्टम्स (UAS) समेत विभिन्न हथियारों और सहायता इकाइयों का समावेश होगा।
- इसके साथ ही लॉजिस्टिक्स और कॉम्बैट सपोर्ट सेक्शन विशेष रूप से डिज़ाइन किए जाएंगे ताकि ब्रिगेड को स्वयं-निर्भर व तीव्र संचालन-क्षमता मिले।
सूत्रों के अनुसार, दो रुद्र ब्रिगेडों को पहले ही पूर्वी लद्दाख और सिक्किम जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात करने की योजना है। यह इन क्षेत्रों की भौगोलिक चुनौतियों, ऊंचे पहाड़, संकरे चोकर, सीमाई तनाव—का सामना करते हुए युद्ध-तत्परता को बढ़ाने का हिस्सा है।
- यह मॉडल “इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप (IBG)” की अवधारणा का विकास है, परंतु ब्रिगेड आकार में थोड़ी बड़ी तथा समेकित संरचना की है।
- रुद्र ब्रिगेडें जल्दी अभियान आरंभ करने, विविध रेखाओं पर स्वतन्त्र रूप से युद्ध लड़ने और उच्च गति से प्रतिक्रिया देने में सक्षम होंगी।
- इस तरह की ब्रिगेडों के निर्माण से सेना की “दो-सामने (China व Pakistan)” की युद्ध क्षमता बेहतर होगी।
- नई संरचना को पूरी तरह सक्रिय करने के लिए उपयुक्त मानव संसाधन, आधुनिक हथियार-सिस्टम, प्रशिक्षण व लॉजिस्टिक सपोर्ट सुनिश्चित करना होगा।
- मौजूदा ब्रिगेडों का पुनः विन्यास करना, विभिन्न हथियार प्रभागों को समेकित करना और नए-प्रमाणित तकनीकी उपकरण जैसे ड्रोन, लूटर म्यूनिशन आदि का समावेश करना अनेक दृष्टियों से चुनौतीपूर्ण है।
- सफलता इसके निर्भर करती है कि इन ब्रिगेडें कितनी जल्दी “संचालन-तत्पर” बन जाएँ, और वास्तविक दुनिया-परिस्थितियों में अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर सकें।
रुद्र ब्रिगेड का निर्माण भारतीय सेना की नए युग की युद्ध-नीति, तेज, लचीले, आधुनिक बल-संरचना के रूप में उभरने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सीमाई क्षेत्रों में अधिक सक्रिय, स्व-निर्भर एवं तकनीकी रूप से सुसज्जित सेना की भूमिका को सुदृढ़ करेगा।
