भारत के हथियारों में चीन की बनी कील तक नहीं लगेगी, इंडियन आर्मी का सबसे बड़ा ऐलान

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नई दिल्ली : भारतीय सेना डिजाइन ब्यूरो के एडीजी मेजर जनरल सीएस मान ने शुक्रवार को कहा कि ड्रोन सिस्टम में कमजोरियों को खत्म करने के लिए कड़ी जांच और प्रोटोकॉल के बीच किसी भी सैन्य हथियार में में किसी भी चीनी हिस्से का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. 

भारतीय ड्रोन में इस्तेमाल किए जा रहे चीनी घटकों पर बोलते हुए, मेजर जनरल मान ने कहा, ‘मैंने पिछले साल कहा था कि हम एक रूपरेखा बना रहे हैं और अब हमारी रणनीति पूरी तरह से अमल में आ चुकी है. हमारी डिजाइन की रूपरेखा बन चुकी है जिसके मंजूरी मिलते ही हम ये सुनिश्चित करने के लिए गहन परीक्षण करेंगे कि हमारे सैन्य हथियार/उपकरण किसी भी तरह की सुरक्षा कमजोरियों से मुक्त रहें.

यह बयान उस दौरान आया, जब उप सेना प्रमुख (क्षमता विकास और निर्वाह) लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने शुक्रवार को कहा कि चीन भारत के ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान पाकिस्तान को लाइव इनपुट दे रहा था. 
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने फिक्की द्वारा आयोजित ‘न्यू एज मिलिट्री टेक्नोलॉजीज’ कार्यक्रम में कहा, ‘जब डीजीएमओ स्तर की बातचीत चल रही थी, तो पाकिस्तान को चीन से हमारी तैनाती के लाइव इनपुट मिल रहे थे. इसलिए यह एक ऐसी जगह है जहां हमें वास्तव में तेजी से आगे बढ़ने और उचित कार्रवाई करने की जरूरत है.’

भारत मुख्य रूप से इज़राइल से सैन्य ड्रोन आयात करता है. हालांकि बीते कुछ सालों में जिस तरह से ड्रोन इंडस्ट्री का दायरा बढ़ा है, उस हिसाब से कुछ उपकरणों जैसे मोटर, सेंसर और इमेजिंग सिस्टम जैसे कुछ घटकों के लिए चीन पर निर्भरता जारी है. भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय चीन के खतरे को समय रहते भांप चुका था इसलिए हर सैन्य सामान को बनाने में ये ध्यान रखा जा रहा है कि उसमें लगने वाली कील, नट बोल्ट या पेंच तक चीन में न बना हो.

जिस तरह इजरायल ने हिजबु्ल्लाह के पेजर को जिंदा बम में बदल दिया था उसी तरह चीनी सामान उस हथियार के विनाश की वजह बन सकते हैं. इसके अलावा चीन के संचार उपकरणों पर यूरोप और अमेरिका ने बीते करीब आठ सालों से बैन लगा रखा है, क्योंकि उनका मानना है कि चीनी उपकरणों से जासूसी होती है, ऐसे में भारतीय सेना ने ये फैसला बहुत सोच समझकर लिया है.