नई दिल्ली : अमेरिका ने आखिरकार इजरायल-ईरान युद्ध के 10वें दिन हमला बोल ही दिया. अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु संयंत्रों फोरडो, नातांज और इस्फहान न्यूक्लियर साइट पर बस्टर बम गिराए, जो जमीन के सैकड़ों फीट नीचे बने बंकरों को भी तबाह कर सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद पिछले हफ्ते कहा था कि वो हफ्ते तक इंतजार करेगा और फिर ईरान पर हमले का विचार करेगा. लेकिन 21-22 जून की आधी रात अप्रत्याशित तौर पर ट्रंप ने ईरानी परमाणु संयंत्रों पर हमले का आदेश दे दिया.
अमेरिकी हमला ईरान-इजरायल युद्ध की आग को और भड़का सकता है. ट्रंप ने खुद ट्रुथ सोशल पर ईरान पर हवाई हमले की पुष्टि की है.अमेरिका ने कहा है कि उनका इरादा ईरान के परमाणु हथियारों की क्षमता को खत्म करना था और हम इसमें कामयाब रहे. बताया जा रहा है कि अमेरिकी स्टील्थ बॉम्बर्स ने बंकर बस्टर बमों से ईरान में जमीन के सैकड़ों फीट नीचे बंकरों में बने न्यूक्लियर प्लांट्स को निशाना बनाया है.
इजरायल की ओर से ये पहले ही कहा जा रहा था कि ईरान के फोरडो जैसे परमाणु संयंत्रों को ध्वस्त करने के लिए अमेरिका के भारी बमवर्षक बी2 बाम्बर्स विमानों और उसके जरिये दागे जाने वाले एमओपी बमों की जरूरत होगी. मीडिया रिपोर्ट्स सामने आई थीं कि अमेरिकी एयरबेस से ऐसे स्टील्थ बमवर्षक विमान दो दिन पहले रवाना हुए थे. मध्य पूर्व में अमेरिका के चार युद्धपोत भी पिछले कुछ दिनों में पहुंचे थे. इसमें यूएसएस निमित्ज और यूएसएस कार्ल विन्सन शामिल हैं.
अमेरिका और इजरायली वायुसेना अधिकारियों के अनुसार, 30 हजार पाउंड यानी करीब 14 हजार किलो वजनी MOP बम फोरडो न्यूक्लियर प्लांट्स पर गिराए गए हैं. ये पहाड़ों में सैकड़ों फीट नीचे बंकरों को भी तबाह कर सकता है. bunker buster bomb गिराने की जरूरत इसलिए भी थी कि इजरायल का डिफेंस सिस्टम लगातार कमजोर पड़ रहा है.
उसकी डेविड स्लिंग, एरो, आयरन डोम जैसे एयर डिफेंस सिस्टम की मिसाइलों का जखीरा लगातार कम हो रहा था. फोरडो न्यूक्लियर प्लांट्स कोम इलाके की पहाड़ियों के करीब 150 फीट नीचे बना है, जहां इजरायली वायुसेना के लड़ाकू विमान निशाना साध नहीं पा रहे थे. फोरडो न्यूक्लियर साइट में हजारों सेंट्रीफ्यूज जमा थे, जिनसे 4 से 6 परमाणु बम बनाए जा सकते हैं.