फलस्तीनी मजदूरों की जगह भारतीय श्रमिकों को काम पर रख रहा इस्राइल

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यरुशलम : हमास और इस्राइल एक साल से अधिक समय जंग लड़ रहे हैं। इस्राइल द्वारा हमास को खत्म करने का संकल्प गाजा पट्टी के लोगों पर भारी पड़ रहा। यह शहर मलबों के ढेर में तब्दील हो गया है। वहीं, हमास भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। हालांकि, अब बड़ी जानकारी सामने आई है कि इस्राइल सरकार फलस्तीनी श्रमिकों की जगह भारतीय मजदूरों को काम पर लगा रही है।

सुरक्षा बेल्ट, हेलमेट और काम के जूते पहने हुए राजू निषाद मशान पर काम कर रहे हैं। उन ब्लॉकों पर हथौड़ा चला रहे हैं जो मध्य इस्राइल के बीर याकोव शहर के एक नए पड़ोस में एक इमारत का हिस्सा बनेंगे। हालांकि वह और उनके साथ काम कर रहे अन्य भारतीय इस विशाल निर्माण स्थल पर अजीब नहीं लगते, लेकिन वे यहां के निर्माण उद्योग में अपेक्षाकृत नए हैं।

बता दें, सात अक्तूबर 2023 के हमास हमले के बाद सरकार ने फैसला किया था कि फलस्तीनी निर्माण श्रमिकों की जगह भारतीय मजदूरों को काम पर लाया जाएगा। अगर यह हमला नहीं हुआ होता, तो इस निर्माण स्थल पर अरबी बोलने वाले श्रमिकों की हलचल होती, न कि हिंदी, हिब्रू और मंदारिन की।

हमास हमले ने इस्राइल और गाजा में हमास के बीच अब तक के सबसे घातक युद्ध को जन्म दिया। बाद में इस जंग की लपटें हिजबुल्ला और यमन तक जा पहुंची। हालांकि, 35 वर्षीय राजू निषाद जैसे श्रमिकों पर इस युद्ध का कोई खास असर नहीं पड़ा। उनका कहना है कि यहां कोई डरने वाली बात नहीं है। जब हमला होने का अलर्ट दिया जाता है तो हम लोग बंकरों में बंद हो जाते हैं। जैसे ही सायरन बंद होता है तो फिर से काम करने लग जाते हैं।

अगर इस बात पर ध्यान दें कि आखिर भारत से लोग मजदूरी करने इस्राइल क्यों आ रहे हैं तो इसकी साफ वजह वेतन है। भारत से तीन गुना अधिक वेतन यहां दिया जा रहा है। निषाद ने कहा, ‘मैं भविष्य के लिए बचत कर रहा हूं, अच्छे निवेश करने की योजना बना रहा हूं और अपने परिवार के लिए कुछ अच्छा करना चाहता हूं।’

इस साल करीब 16,000 भारतीय श्रमिक इस्राइल पहुंचे हैं। यहां की सरकार का लक्ष्य हजारों और भारतीय श्रमिकों को लाने का है।भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी है। फिर भी वहां बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। ऐसे में अच्छे वेतन को देखते हुए भारतीय श्रमिक देश छोड़ इस्राइल जा रहे हैं।

निर्माण क्षेत्र के लिए इस्राइल में भारतीय श्रमिकों को लाने की मुहिम पर दिल्ली स्थित एक भर्ती एजेंसी के प्रमुख समीर खोसला ने कहा कि इस्राइल में निर्माण क्षेत्र के लिए भारतीय श्रमिकों को लाना एक स्वाभाविक कदम था, क्योंकि भारत और इस्राइल के बीच मजबूत संबंध हैं। हालांकि, इस्राइल में भारतीय श्रमिकों की संख्या फलस्तीनी श्रमिकों के बराबर नहीं पहुंच पाई है, जिससे निर्माण क्षेत्र में धीमी गति से काम हो रहा है।

इस्राइल के केंद्रीय बैंक के एक शोधकर्ता एयाल अर्गोव के अनुसार, फलस्तीनियों के बजाय भारतीयों की उपस्थिति कम है, जो निर्माण गतिविधियों में देरी का कारण बन सकती है। इस्राइल में वर्तमान में 30,000 विदेशी श्रमिक काम कर रहे हैं, जो पहले के मुकाबले कम हैं और इसका प्रभाव भविष्य में आवास की आपूर्ति पर पड़ सकता है।