नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर से आतंकी इकोसिस्टम को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सरकार ने सफाई अभियान शुरू कर दिया है, जिसके चलते अभी तक पुलिसकर्मियों सहित 6 सरकारी अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया है, ये सभी ड्रग्स के बिक्री के जरिए आतंकियों को फाइनेंस करने में इन्वाल्व पाए गए हैं. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भारतीय संविधान की धारा 311 (2) (सी) के तहत इन सभी सरकारी अधिकारियों को बर्खास्त किया है.
इन सभी अधिकारियों की कड़ी जांच कराई गई थी, जिसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि ये सभी पाकिस्तान आईएसआई और वहां से चल रहे आतंकी ऑर्गनाइजेशन के चलाए जा रहे नार्को-टेरर नेटवर्क का हिस्सा थे. जांच में उन सभी अधिकारियों के खिलाफ आपत्तिजनक सबूत इकट्ठा किए हैं, इन सबूतों से पता चलता है कि इन अधिकारियों ने पाकिस्तान आईएसआई और आतंकी संगठनों के चलाए जा रहे नार्को-टेरर से लड़ने में सरकार की मदद करने की बजाए उनके साथ मिलकर देश के प्रति बेईमानी का रास्ता चुना.
बर्खास्त हुए एक शिक्षक सहित पांच पुलिसकर्मियों और छह सरकारी अधिकारी नशीली दवाओं की बिक्री के माध्यम से आतंकी ग्रुप को पैसे की मदद करने में शामिल पाए गए थे। वहीं अनुच्छेद के प्रावधान ‘C’ के तहत जैसा भी केस हो राष्ट्रपति या राज्यपाल को सामान्य प्रक्रिया का सहारा लिए बगैर किसी कर्मचारी को सस्पेंड करने का अधिकार है.
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पहले कहा कि नार्को-आतंक देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है. नार्को-आतंक नेटवर्क पर हमला आतंकवाद के खिलाफ होने वाली लड़ाई का पहला ही चरण है, इसके जरिए आतंकी इकोसिस्टम को पूरी तरह से खत्म किया जा सके और जम्मू-कश्मीर में शांति और समृद्धि सुनिश्चित की जा सके.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने जम्मू-कश्मीर में नशीले पदार्थों की तस्करी और उसे बढ़ाने वाली पाकिस्तानी इरादे को नाकाम किया है और कई नार्को डीलरों की करोड़ों की संपत्ति जब्त की गई है. DGP आरआर स्वैन ने इस मामले में कहा था कि नशीले पदार्थों से कमाए गए हर एक रुपये का पता हर एक खाते और हर एक संपत्ति से लगाया जाएगा और इस नेटवर्क से पैसे कमा रहे हर नागरिक को सवालों का जबाव देना पड़ेगा, अब चाहें वो नागरिक सरकार या पुलिस या किसी अन्य संगठन में जासूस हों. सरकार ने नार्को-आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने वाले 8 कर्मचारियों को इस महीने बर्खास्त किया है.