झारखंड : रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत

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रांची : झारखंड की नौकरशाही में लंबे समय से चर्चा में रहे आईएएस अधिकारी छवि रंजन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शुक्रवार को देश की सर्वोच्च अदालत ने रांची के पूर्व उपायुक्त (डीसी) सह आईएएस अधिकारी छवि रंजन को जमीन घोटाला मामले में सशर्त जमानत प्रदान की। अदालत ने इस दौरान कई सख्त शर्तें भी लगाई हैं ताकि जांच प्रक्रिया प्रभावित न हो सके।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि छवि रंजन बिना अदालत की पूर्व अनुमति झारखंड से बाहर नहीं जा सकेंगे। साथ ही, उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और अन्य जांच एजेंसियों के साथ पूरी तरह सहयोग करना होगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी भी गवाह या सह-अभियुक्त से संपर्क नहीं करेंगे। कोर्ट ने यह टिप्पणी भी की कि चूंकि यह मामला अब भी ट्रायल के चरण में है, इसलिए जमानत देने से जांच या मुकदमे की निष्पक्षता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

वहीं, ईडी की ओर से पेश वकीलों ने अदालत में तर्क दिया कि छवि रंजन के खिलाफ मजबूत और ठोस सबूत मौजूद हैं, जिनमें भूमि सौदों से संबंधित दस्तावेज, बैंक लेन-देन और इलेक्ट्रॉनिक डाटा शामिल हैं। ईडी ने यह भी कहा था कि यदि उन्हें जमानत दी जाती है, तो जांच प्रभावित हो सकती है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को यह कहते हुए खारिज किया कि जमानत देने से जांच की दिशा पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि अब मामला न्यायालय के अधीन है।

इस फैसले के बाद छवि रंजन के परिजनों, शुभचिंतकों और समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। उनके आवास और पैतृक गांव में लोगों ने इस निर्णय को “न्याय की जीत” बताया। दूसरी ओर, ईडी अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई शर्तों के तहत अपनी जांच को और आगे बढ़ाने की तैयारी में जुट गई है। गौरतलब है कि छवि रंजन का नाम तब सुर्खियों में आया जब वे रांची के उपायुक्त के रूप में कार्यरत थे। 

उनके कार्यकाल के दौरान कई विवादित भूमि फाइलों के स्वीकृति और हस्तांतरण में अनियमितताओं के आरोप लगे। ईडी ने पिछले वर्ष छवि रंजन के रांची स्थित आवास, सरकारी दफ्तरों और कई अन्य ठिकानों पर छापेमारी की थी। इन छापों में बड़ी मात्रा में दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और संपत्ति से जुड़े साक्ष्य जब्त किए गए थे।

बताया जाता है कि यह मामला रांची के काशीबाग और हथियाबगिचा इलाके की भूमि के अवैध ट्रांसफर से जुड़ा है, जिसमें सरकारी जमीन को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर निजी व्यक्तियों के नाम कर दिया गया था। ईडी ने इस घोटाले की जांच के दौरान कई रजिस्ट्री कर्मियों, दलालों और सरकारी अधिकारियों से पूछताछ की थी। छवि रंजन को इसी कड़ी में मुख्य आरोपी के रूप में चिह्नित किया गया था।

झारखंड की नौकरशाही में यह मामला अब भी सबसे चर्चित भ्रष्टाचार प्रकरणों में से एक माना जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में भी इस पर लगातार बयानबाजी होती रही है। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय जहां छवि रंजन के लिए राहत लेकर आया है, वहीं जांच एजेंसियों के लिए यह एक नई चुनौती भी बन गया है कि वे मामले की तह तक पहुंचकर ठोस साक्ष्य अदालत के सामने पेश करें।

कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने झारखंड की प्रशासनिक व्यवस्था और आईएएस अधिकारियों की कार्यशैली को लेकर फिर से बहस को गर्म कर दिया है। अब देखने वाली बात होगी कि आगे की जांच और ट्रायल में यह मामला किस दिशा में बढ़ता है।