नई दिल्ली-NewsXpoz : झारखंड के पूर्व सीएम और राज्य की सियासत की धुरी सोरेन परिवार के करीबी चंपई सोरेन सोमवार को भाजपा का दामन थामेंगे। उनके साथ कम से कम तीन विधायक भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। सियासी हलचल के बीच रविवार को चंपई ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट के जरिए पार्टी नेतृत्व पर अपमानित करने और नया विकल्प अपनाने पर मजबूर करने का आरोप लगाया। विधानसभा चुनाव से पूर्व चंपई का पाला बदल झामुमो के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
गौरतलब है कि चंपई रविवार को कोलकाता के रास्ते दिल्ली पहुंचे। कोलकाता में उन्होंने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी से मुलाकात की। इसके बाद देर शाम सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से झामुमो नेतृत्व पर तीखा हमला बोला। पार्टी सूत्रों का कहना है कि चंपई सोमवार को तीन विधायकों के साथ विधिवत रूप से भाजपा में शामिल होंगे।
मजबूरी में नया विकल्प अपनाने का फैसला : दिल्ली पहुंचने पर चंपई ने पहले पाला बदलकर गोलमोल जवाब दिया। हालांकि शाम को सोशल मीडिया पर पोस्ट के माध्यम से पार्टी नेतृत्व पर खुद को अपमानित करने का आरोप लगाया। पोस्ट में उन्होंने लिखा कि लगातार अपमानजनक व्यवहार से भावुक हो कर मैंने सियासत में नए विकल्प को अपनाने का फैसला किया है।
अब शुरू करेंगे जीवन का नया अध्याय : चंपई ने अपना दर्द साझा करते हुए कहा कि लगातार अपमान और तिरस्कार के बाद उनके सामने राजनीति से संन्यास लेने, अपना संगठन खड़ा करने या नए साथी के साथ सफर करने का विकल्प बचा था। मेरे लिए विधानसभा चुनाव तक के सफर के लिए विकल्प खुले हुए हैं। अपमान और तिरस्कार के कारण मैं वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गया। आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है।
झामुमो के लिए बड़ा झटका : चंपई सोरेन परिवार के सबसे करीबियों में से एक रहे हैं। इसका अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाने से पहले सीएम हेमंत सोरेन ने सीएम पद की जिम्मेदारी चंपई को दी। बताते हैं कि हेमंत के जेल से बाहर आने के बाद जिस प्रकार उन्हें आनन फानन सीएम पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया, उससे वह आहत थे।
भाजपा के लिए लाभ का सौदा : लोकसभा चुनाव में भाजपा ने झामुमो के हाथों सभी पांच सुरक्षित सीटें गंवा दी थी। आदिवासी बिरादरी की नाराजगी का आलम यह था कि केंद्रीय मंत्री रहे अर्जुन मुंडा भी अपनी सीट नहीं बचा पाए थे। चूंकि चंपई सोरेन परिवार के करीबी और आदिवासी वर्ग के दिग्गज नेता हैं, ऐसे में चंपई की बगावत से झामुमो को नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका लग सकता है।