रांची : झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक तरलोक सिंह चौहान ने शनिवार को संताल परगना क्षेत्र में मानव तस्करी को गंभीर सामाजिक समस्या बताते हुए चिंता व्यक्त की। मुख्य न्यायाधीश ने यह बात राज्य भर में एकसाथ आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत के उद्घाटन अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा चुनौतीपूर्ण है और बाल श्रम को रोकना एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।
चौहान ने चुड़ैल-सिद्धांत या जादू-टोना जैसी कुप्रथाओं को सामाजिक अभिशाप बताते हुए जागरूकता और कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि न्याय केवल अदालतों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि आम नागरिकों के जीवन में इसका अनुभव होना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “कानूनी सेवाओं और सशक्तिकरण शिविरों के माध्यम से न्यायपालिका समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास कर रही है, ताकि प्रत्येक नागरिक को समानता, गरिमा और न्याय सुनिश्चित हो। लोक अदालत, कानूनी सहायता और सुलह जैसी व्यवस्थाएं केवल विवादों का समाधान नहीं करती, बल्कि सामाजिक समरसता और आपसी विश्वास को भी मजबूत बनाती हैं और कानूनी सेवाओं को टकरावपूर्ण से सहयोगात्मक बनाती हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि कानूनी सेवाएं अब केवल मुफ्त कानूनी सहायता तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह नागरिकों के व्यापक सशक्तिकरण का एक साधन बन गई हैं। इसके साथ ही, न्यायालय ने एक लीगल एड क्लिनिक द्वारा प्रस्तुत किए गए लघु फिल्म को भी सराहा, जिससे आम लोगों की समस्याओं, संघर्ष और आकांक्षाओं को उजागर करते हुए कानूनी जागरूकता बढ़ती है।
रांची के झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की कार्यकारी अध्यक्ष न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद ने कहा कि आज भी महिलाएं और समाज के कमजोर वर्ग अंधविश्वास के चलते चुड़ैलों के रूप में हिंसा का शिकार होते हैं। उन्होंने कहा, “चुड़ैल जैसी कोई चीज़ नहीं है। ऐसे विश्वास अज्ञानता और भ्रांति का परिणाम हैं।”
कार्यक्रम में लाभार्थियों को कानूनी जागरूकता प्रदान की गई और विभिन्न सरकारी कल्याण योजनाओं की जानकारी दी गई। साथ ही विभिन्न राज्य सरकार विभागों द्वारा स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, पहचान पत्र और आजीविका से संबंधित सेवाओं के स्टॉल लगाकर मौके पर ही सेवाएं उपलब्ध कराई गईं।
