झारखंड : रिम्स-2 पर बवाल, हल-बैल संग उतरे ग्रामीण

Jharkhand-RIMS

रांची : कांके अंचल के नगड़ी मौजा स्थित रिम्स-2 परियोजना (1074 करोड़ रुपये) को लेकर विवाद और तेज हो गया है। रविवार को यहां रैयतों और ग्रामीणों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रशासन ने आंदोलन की आशंका को देखते हुए प्रस्तावित भूमि के 200 मीटर परिधि में बीएनएस धारा 163 लागू कर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी।

सुबह पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को आंदोलन में शामिल होने से रोकने के लिए उनके आवास पर हाउस अरेस्ट कर दिया गया। इसके बावजूद झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष देवेंद्रनाथ महतो प्रशासन को चकमा देकर आंदोलन स्थल पहुंचे। वे समर्थकों के साथ कंधे पर हल और बैल लेकर खेत में उतरे और नारे लगाए – “खेत जोतो जमीन बचाओ, रोपा रोपो जमीन बचाओ”। प्रदर्शन में महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में धान की रोपनी की और सांस्कृतिक गीत-संगीत के जरिए रिम्स-2 परियोजना का विरोध जताया।

देवेंद्रनाथ महतो ने कहा कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन नगड़ी की जमीन पूरी तरह कृषि योग्य और आजीविका का मुख्य साधन है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार संवैधानिक प्रक्रिया को दरकिनार कर किसानों की उपजाऊ जमीन अधिग्रहित कर रही है। महतो ने सवाल उठाया कि जहां भू-माफिया गैर-मजरूआ और वन भूमि पर कब्जा किए बैठे हैं, वहां कार्रवाई नहीं हो रही, जबकि खेती योग्य जमीन हड़पने की कोशिश की जा रही है।

उन्होंने चेतावनी दी कि लोकतांत्रिक देश में तानाशाही रवैया स्वीकार नहीं किया जाएगा। अगर रिम्स-2 बनाना ही है तो इसके लिए कांके, बुकरू, रातु, सिमलिया, अनगड़ा और ओरमांझी की सरकारी जमीन का इस्तेमाल किया जाए। महतो ने याद दिलाया कि बीआईटी की 281 एकड़ जमीन अधिग्रहण के विरोध में भी उन्होंने हल चलाकर आंदोलन किया था। यह आंदोलन नगड़ी जमीन बचाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर आयोजित किया गया था, जिसमें हजारों की संख्या में ग्रामीण, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हुए। आंदोलन में प्रेम शाही मुंडा, कमलेश राम, कुंदरेशी मुंडा, अंजना लकड़ा समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।