लद्दाख में स्थापित की गई एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन, खुलेंगे ब्रह्मांड के रहस्य

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लद्दाख : भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) द्वारा निर्मित एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन का लद्दाख के हानले में उद्घाटन किया गया है। इस मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरीमेंट (एमएसीई) वेधशाला को बीएआरसी की मदद से स्थापित किया गया है। इस दूरबीन के लगने से  वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।

बीएआरसी की ओर से बयान में कहा गया कि 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दूरबीन दुनिया में अपनी तरह की सबसे ऊंची दूरबीन भी है। चार दिन पहले परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के सचिव अजीत कुमार मोहंती द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था। यह दूरबीन, इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) और अन्य भारतीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से मुंबई स्थित बीएआरसी ने निर्मित की है।

एमएसीई वेधशाला का उद्घाटन परमाणु ऊर्जा विभाग के प्लैटिनम जयंती वर्ष समारोह का हिस्सा है। प्रमुख वायुमंडलीय चेरेनकोव प्रयोग (एमएसीई) वेधशाला का उद्घाटन परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव डॉ. अजीत कुमार मोहंती ने 4 अक्टूबर 2024 को लद्दाख में किया।

अपने उद्घाटन भाषण में मोहंती ने सामूहिक प्रयास की सराहना की। जिसके कारण एमएसीई दूरबीन का निर्माण संभव हो सका। उन्होंने कहा कि एमएसीई वेधशाला भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और यह देश को वैश्विक स्तर पर कॉस्मिक-रे अनुसंधान में अग्रणी स्थान पर रखती है।

डीएई सचिव ने कहा कि दूरबीन से वैज्ञानिकों को उच्च ऊर्जा वाली गामा किरणों का अध्ययन करने में मदद मिलेगी, जिससे ब्रह्मांड की सबसे ऊर्जावान घटनाओं को गहराई से समझने का मार्ग प्रशस्त होगा। मोहंती ने इस बात पर जोर दिया कि एमएसीई परियोजना न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि लद्दाख के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी सहायक होगी।

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