जापान के चंद्र मिशन को बड़ा झटका, निजी लैंडर चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त

Lunar-Lander

नई दिल्ली : जापान का एक निजी चंद्र लैंडर शुक्रवार को लैंडिंग की कोशिश करते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया। टोक्यो स्थित कंपनी आईस्पेस ने लैंडर से संपर्क टूटने के कई घंटे बाद मिशन के फेल होने की घोषणा की। फ्लाइट कंट्रोलर संपर्क स्थापित करने के लिए काफी देर तक मशक्कत करते रहे, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। फ्लोरिडा से जनवरी में लॉन्च किया गया रेजिलिएंस पिछले महीने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया था।

सीईओ और संस्थापक ताकेशी हाकामाडा ने मिशन में योगदान देने वाले सभी लोगों से माफी मांगी। यह आईस्पेस के लिए दूसरा चंद्र स्ट्राइकआउट था। दो साल पहले कंपनी का पहला मूनशॉट क्रैश लैंडिंग में खत्म हो गया था।

इस वजह से इस बार लैंडर का नाम ‘रेसिलिएंस’ रखा गया था। रेसिलिएंस अपने साथ चंद्रमा की धूल इकट्ठा करने के लिए फावड़े के साथ एक रोवर और चंद्रमा की धूल भरी सतह पर रखने के लिए एक स्वीडिश कलाकार के खिलौने के आकार का लाल घर ले गया था। कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि यह कहना बहुत जल्दबाजी होगी कि क्या एक ही समस्या ने दोनों मिशनों को बर्बाद कर दिया।

हाकामाडा ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह दूसरी बार है, जब हम लैंड नहीं कर पाए। इसलिए हमें वास्तव में इसे बहुत गंभीरता से लेना होगा।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि कंपनी और अधिक चंद्र मिशनों के साथ आगे बढ़ेगी। 

अधिकारियों ने कहा कि प्रारंभिक विश्लेषण से संकेत मिलता है कि ऊंचाई मापने के लिए लेजर सिस्टम ने योजना के अनुसार काम नहीं किया और लैंडर बहुत तेजी से नीचे उतरा। कंपनी ने एक लिखित बयान में कहा, ‘इन परिस्थितियों के आधार पर वर्तमान में यह माना जा रहा है कि लैंडर ने संभवतः चंद्र सतह पर कठिन लैंडिंग की होगी।’

दो अन्य अमेरिकी कंपनियां साल के अंत तक चंद्रमा पर उतरने का लक्ष्य बना रही हैं। पहली जेफ बेजोस की ब्लू ओरिजिन और दूसरी एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलॉजी। एस्ट्रोबोटिक का पहला चंद्रमा लैंडर 2024 में असफल रहा था और वापस आ गया। 

अब केवल पांच देशों ने रोबोटिक चंद्र लैंडिंग में सफलता पाई है- रूस, अमेरिका, चीन, भारत और जापान। इनमें से केवल अमेरिका ने ही लोगों को चंद्रमा पर उतारा है- 1969 से 1972 तक 12 नासा अंतरिक्ष यात्री। चीन ने भी 2030 तक अपने अंतरिक्ष यात्रियों के लिए चंद्रमा पर उतरने की योजना बनाई है।