नई दिल्ली : नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्माचारिणी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं. मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. उनके नाम में ही उनकी शक्तियों की महिमा का वर्णन मिलता है. ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ होता है आचरण करने वाली. अर्थात कठोर तप और ब्रह्म में लीन रहने के वजह से इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया है. मान्यता है कि मां दुर्गा के इस स्वरुप की पूजा करने से तप, त्याग, संयम, सदाचार आदि की वृद्धि होती है.
मां ब्रह्मचारिणी पूजा तिथि और मुहूर्त : वैदिक पंचाग के अनुसार, नवरात्रि की द्वितीया तिथि की शुरुआत 4 अक्टूबर 02 बजकर 58 मिनट पर हो जाएगी और तिथि का समापन 5 अक्टूबर 05 बजकर 30 मिनट पर होगा. मां ब्रहमचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि : शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त पर उठकर स्नान कर लें. पूजा करने के लिए सबसे पहले आसन बिछाएं इसके बाद आसन पर बैठकर मां की पूजा करें. माता को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं. ब्रह्मचारिणी मां को भोगस्वरूप पंचामृत चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं. साथ ही माता को पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें. फिर देवी ब्रह्मचारिणी मां के मंत्रों का जाप करें और फिर मां की आरती करें.
मा ब्रह्मचारिणी पूजा का महत्व : मां दुर्गा के इस स्वरूप को अनंत फल देने वाला माना गया है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से ज्ञान बढ़ता है और सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है. माता ब्रह्मचारिणी ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बनाए रखती हैं और आशीर्वाद देती हैं.
मान्यता है कि माता के आशीर्वाद से हर कार्य पूरे हो जाते हैं और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है. माता की आराधना करने से जीवन में संयम, बल, सात्विक, आत्मविश्वास की बढ़ता है. माता की शक्ति के प्रभाव से शरीर के सभी रोग दूर होते हैं और जीवन में उत्साह व उमंग के साथ-साथ धैर्य व साहस का समावेश होता है.