नई दिल्ली : मणिपुर में भाजपा को बड़ा झटका लगा है. बताया जा रहा है कि नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने भाजपा नीत मणिपुर सरकार से समर्थन वापस लिया है. दावा है कि NPP ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार को राज्य में लंबे समय से चल रही अशांति के लिए जिम्मेदार ठहरा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह राज्य की बिगड़ती हालत को सुधारने में नाकाम साबित हुए हैं जिसके चलते वो अपना समर्थन वापस ले रहे हैं. इस संबंध में एनपीपी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को खत लिखा है. हालांकि एनपीपी के समर्थन वापस लेने से राज्य सरकार अस्तित्व पर कोई खतरा नहीं है.
एनपीपी ने अपने पत्र में कहा है,’हमें दृढ़ता से लगता है कि श्री बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर राज्य सरकार संकट को हल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह नाकाम रही है.’ खत में आगे कहा गया है,’मौजूदा हालात को ध्यान में रखते हुए, नेशनल पीपुल्स पार्टी ने मणिपुर राज्य में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन तत्काल प्रभाव से वापस लेने का फैसला किया है.’
पूर्वोत्तर राज्य में एक अहम सहयोगी को खोने के बावजूद, भाजपा सरकार के स्थिर रहने की संभावना सबसे ज़्यादा है क्योंकि 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में उसके पास आरामदायक बहुमत है. भाजपा के पास फिलहाल 37 सीटें हैं, जो 31 के आधे से ज़्यादा बहुमत है. इसमें जनता दल (यूनाइटेड) के पांच विधायक शामिल हैं जो 2022 के अंत में भाजपा में शामिल हुए थे. इसके अलावा, भाजपा को नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के पाँच विधायकों, एक जेडी(यू) विधायक और तीन निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है.
हालांकि दूसरी तरफ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज राष्ट्रीय राजधानी में सीनियर अफसरों के साथ मणिपुर की हालत को लेकर अहम मीटिंग की. इस बैठक में अमित शाह ने मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की. इसके अलावा वह कल इस मुद्दे पर विस्तृत बैठक करेंगे. पिछले कुछ दिनों से मणिपुर में रह-रहकर हिंसा की खबरें आ रही हैं. यह मीटिंग इंफाल पश्चिम और पूर्व में कर्फ्यू लगाए जाने और सात जिलों में इंटरनेट सर्विस सस्पेंड करने के बाद हुआ है. क्योंकि घाटी के जिलों में छह लोगों की हत्या के खिलाफ ताजा विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं, जिनके शव कुकी उग्रवादियों की तरफ कथित रूप से अपहरण किए जाने के बाद जिरीबाम में मिले थे.
सोमवार को जिरीबाम जिले में सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच गोलीबारी के बाद राहत शिविर में रहने वाली तीन महिलाएं और तीन बच्चे लापता हो गए. मैतेई संगठनों ने आरोप लगाया है कि उग्रवादियों ने उनको अगवा कर लिया है. 11 नवंबर को उग्रवादियों के एक ग्रुप ने बोरोबेकरा इलाके में एक पुलिस स्टेशन पर हमला किया, लेकिन सुरक्षा बलों ने हमले को नाकाम कर दिया, जिसके नतीजे में 11 उग्रवादी मारे गए. पीछे हटते सम उग्रवादियों ने कथित तौर पर पुलिस स्टेशन के पास एक राहत शिविर से एक ही परिवार की तीन महिलाओं और तीन बच्चों का अपहरण कर लिया. जिसके बाद उन लोगों की लाशें बरामद की गई थीं.