केंद्रीय गृह मंत्रालय का सभी राज्यों को मॉक ड्रिल का निर्देश

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नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने नागरिक सुरक्षा (सिविल डिफेंस) के लिए देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को 7 मई को मॉक ड्रिल कराने को कहा है, ताकि किसी आपात स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

गृह मंत्रालय की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि मॉक ड्रिल के दौरान हवाई हमले के सायरन, आम जनता को सिविल डिफेंस (नागरिक सुरक्षा) से जुड़ी ट्रेनिंग देना, ब्लैकआउट उपाय, जरूरी ठिकानों की कैमोफ्लाज (छिपाने की व्यवस्था) और एवैक्यूएशन (निकासी) प्लान का अभ्यास किया जाएगा। 

मंत्रालय ने कहा कि मौजूदा भूराजनीतिक हालात में देश को कई नए और जटिल खतरों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हर समय पूरी तैयारी रखनी चाहिए।

इसके मुताबिक, 7 मई को देश के 244 चिन्हित जिलों में यह मॉक ड्रिल होगी, जो गांवों में तक की जाएगी। इसका मकसद सिविल डिफेंस की तैयारी की जांच करना और बेहतर बनाना है। इस अभ्यास में जिला अधिकारी, सिविल डिफेंस वार्डन, होम गार्ड, एनसीसी, एनएसएस, एनवाईकेएस, कॉलेज और स्कूल के छात्र भी भाग लेंगे। सरकार का कहना है कि यह मॉक ड्रिल विभिन्न एजेंसियों की तैयारियों और आपसी तालमेल की जांच के लिए जरूरी है।

मॉक ड्रिल में निम्नलिखित कदम उठाए जाएंगे

  • हवाई हमले (एयर रेड) चेतावनी सायरन को सक्रिय किया जाएगा।
  • आम नागरिकों, छात्रों आदि को प्रशिक्षित किया जाएगा कि अगर किसी तरह का हमला हो जाए, तो वे खुद को कैसे सुरक्षित रखें।
  • ब्लैकआउट की व्यवस्था की जाएगी। यानी जरूरत पड़ने पर बिजली बंद कर दी जाए ताकि दुश्मन को कोई लक्ष्य न दिखाई दे।
  • महत्वपूर्ण कारखानों और ठिकानों को छिपाने की जल्दी व्यवस्था की जाएगी।
  • निकासी योजना को अपडेट किया जाएगा और उसका अभ्यास (रिहर्सल) भी कराया जाएगा।

नागरिकों की सुरक्षा से संबंधित मॉक ड्रिल बेहद असामान्य कदम है। हाल-फिलहाल में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए किसी भी संघर्ष के दौरान ऐसा कोई मॉक ड्रिल नहीं किया गया। राज्यों में आखिरी मॉक ड्रिल आज से 54 साल पहले 1971 में हुआ था। तब बांग्लादेश की मुक्ति के लिए हुआ युद्ध भारत-पाकिस्तान के बीच पूर्ण युद्ध में बदल गया था जो देश की पूर्वी और पश्चिमी दोनों सीमाओं पर लड़ा गया था। उस समय नागरिकों की जान-माल को कम से कम नुकसान पहुंचे, इसके लिए ऐसा अभ्यास किया गया था।

इससे पहले, रविवार को फिरोजपुर छावनी इलाके में 30 मिनट का ब्लैकआउट अभ्यास किया गया, जिसमें रात 9 बजे से 9:30 बजे तक सभी लाइटें बंद रहीं। अगर किसी वाहन की लाइट जलती पाई गई तो उसे बंद करवाया गया। पुलिस पूरी तरह अलर्ट पर रही और हर चौराहे पर तैनाती की गई। फिरोजपुर छावनी थाने के एसएचओ गुरजंत सिंह ने यह जानकारी दी।

गृह मंत्रालय ने यह निर्देश ऐसे समय में दिए हैं, जब दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा हुआ है और भारत पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए विकल्पों पर विचार कर रहा है। इस आतंकी हमले में 26 लोगों की बर्बर तरीके से हत्या कर दी गई थी। इनमें अधिकांश पर्यटक शामिल थे।

इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई रणनीतिक कदम उठाए हैं। जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, पाकिस्तानी उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या में कटौती करना, अटारी चेक पोस्ट को बंद करना और सभी श्रेणियों में डाक सेवाओं को बंद करने जैसे कदम शामिल हैं।

आतंकी हमले के बाद सरकार ने सशस्त्र बलों को छूट दी है कि वह अपने समय और तरीके से फैसला ले सकते हैं। इस हमले के बाद सरकार ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी और विपक्षी दलों ने भी इस हमले के दोषियों के खिलाफ सरकार की किसी भी कार्रवाई के लिए अपना समर्थन दिया है। आतंकवादी हमले के एक दिन बाद सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक में आतंकवादी हमले के सीमा पार संबंध की जानकारी दी गई थी।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, भारत ने पाकिस्तान की सभी वस्तुओं के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आगमन और पारगमन पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार प्रवाह प्रभावी रूप से रुक गया है।