प्रयागराज : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अगले महीने महाकुंभ का आयोजन होना है। इससे पहले देश के दो बड़े नेता प्रयागराज पहुंचे और कुंभ मेले की तैयारियों का जायजा लिया। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रयागराज में साथ नजर आए। इस मौके पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2025 के प्रयागराज महाकुंभ के उद्घाटन को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री का आगमन सभी सनातन धर्मावलंबियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
आज यहां हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण होने जा रहा है। सैकड़ों वर्षों के बाद पीएम की प्रेरणा, मार्गदर्शन और आदर्शों पर 2019 के प्रयागराज कुंभ में पहली बार श्रद्धालुओं को अक्षयवट के दर्शन हुए। इस बार अक्षयवट कॉरिडोर का लोकार्पण होने जा रहा है। बड़े हनुमान जी मंदिर कॉरिडोर का भी लोकार्पण होने जा रहा है।”
प्रधानमंत्री ने 2025 के महाकुंभ के लिए सुविधाओं में सुधार और शहर के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य से 5,500 करोड़ रुपये की प्रमुख विकास परियोजनाओं की शुरूआत करने से पहले संगम तट पर पूजा अर्चना की। हर 12 साल में आयोजित होने वाला महाकुंभ अगले वर्ष प्रयागराज में 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) से 26 फरवरी (महा शिवरात्रि) तक आयोजित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर एक औपचारिक पूजा और दर्शन के साथ शुरू हुई। पूजा से पहले मोदी ने नदी में नौकाविहार का आनंद लिया। पूजा के अवसर पर प्रधानमंत्री के साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने अक्षय वट वृक्ष स्थल पर पूजा की। प्रधानमंत्री उसके बाद हनुमान मंदिर गए। उन्होंने वहां और फिर सरस्वती कूप में दर्शन और पूजा की। इसके बाद उन्होंने महाकुंभ प्रदर्शनी स्थल का भ्रमण किया और वहां मौजूद अधिकारियों से उसके बारे में जानकारी ली।
‘राम नाम बैंक’ के संयोजक प्रयागराज के आशुतोष वार्ष्णेय के अनुसार, महाकुंभ मेला अनुष्ठानों का एक भव्य आयोजन है। त्रिवेणी संगम पर लाखों तीर्थयात्री इस पवित्र अनुष्ठान में भाग लेने के लिए एकत्रित होते हैं। ऐसी मान्यता है कि पवित्र जल में डुबकी लगाने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है, खुद को और अपने पूर्वजों को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त कर अंततः मोक्ष या आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त कर सकता है। वार्ष्णेय ने कहा कि स्नान अनुष्ठान के अलावा, तीर्थयात्री पवित्र नदी के तट पर पूजा भी करते हैं और विभिन्न साधुओं और संतों के नेतृत्व में ज्ञानवर्धक प्रवचनों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।