नई दिल्ली : आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हो गए हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहार का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि पर देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि रहती है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना के साथ विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा और अनुष्ठान आरंभ होते हैं। नवरात्रि के पहले दिन देवी मां पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है।
कलश स्थापना करने से पहले आप एक मिट्टी के पात्र को लें। फिर एक साफ थाली में थोड़ी सी मिट्टी को डाल दें। अब उसमें जौ के बीज को मिलाएं। इसके बाद इसे मिट्टी के पात्र में डालें और पानी से छिड़काव करें। एक तांबे अथवा मिट्टी के कलश पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। फिर उसके ऊपरी भाग में मौली बांध लें।
अब कलश में साफ जल के साथ उसमें थोड़ा गंगाजल भी मिला लें। फिर उसके ऊपर दूब, अक्षत, सुपारी और कुछ पैसे रख दें। इसके बाद आप आम या अशोक की पत्तियां कलश के ऊपर रख दें।एक नारियल को लाल चुनरी से लपेटकर मौली बांध दें।फिर इस नारियल को कलश के बीच में रख दें, और बाद में इसे पात्र के मध्य में स्थापित कर दें।इस दौरान माता रानी के मंत्रों का जाप करते रहें, इससे देवी प्रसन्न होती हैं।
आदिशक्ति की पूजा का पावन पर्व शारदीय नवरात्रि आज से प्रारंभ हो गया है। नवरात्रि के 9 दिनों तक मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप देवी शैलपुत्री की पूजा का महत्व होता है। मां शैलपुत्री की पूजा से भक्तों को जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। यह देवी प्रकृति और ऊर्जा की अधिष्ठात्री हैं और इनकी कृपा से भक्तों को मानसिक और शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है। शैलपुत्री मां की कृपा से मनुष्य का जीवन सुरक्षित और संतुलित रहता है। यह देवी साधकों को आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती हैं और उनकी साधना को सफल बनाती हैं।
आज, 3 अक्तूबर से शारदीय नवरात्रि पर माता राना का आगमन हो चुका है। लगातार 9 दिनों तक माता दुर्गा अपने भक्तों पर कृपा बरसाएंगी।इस बार गुरुवार नवरात्रि शुरू होने के कारण माता रानी का आगमन डोली पर हुआ। जब माता धरती पर डोली या पालकी में आती हैं तो इसे बहुत अच्छा संकेत नहीं माना जाता है. दरअसल माता रानी का पालकी में आना चिंता का विषय बन सकता है। इससे अर्थव्यवस्था में गिरावट, व्यापार में मंदी, हिंसा, देश-दुनिया में महामारी के बढ़ने और प्राकृतिक आपदाओं के संकेत मिलते हैं।
पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त है। पहला शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6 बजकर 2 मिनट से लेकर प्रातः काल 7 बजकर 7 मिनट तक रहने वाला है। इसके बाद नवरात्रि के घटस्थापना के लिए दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर के समय का है। यह मुहूर्त सुबह 11 बजकर 34 मिनट से लेकर दोपहर 12:21 तक रहेगा। इस दौरान भी कलश स्थापना कर सकते हैं।
आज गुरुवार 3 अक्त्तूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो गए हैं। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 से 11 अक्तूबर तक मनाया जाएगा। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के साथ विधि-विधान मां दुर्गा का स्वागत होगा। इस बार हस्त नक्षत्र और इन्द्र योग मां का आगमन हुआ। इस बार गुरुवार नवरात्रि शुरू होने के कारण माता रानी का आगमन डोली पर हुआ है।