नई दिल्ली : काठमांडू सहित पूरे नेपाल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बैन किए जाने के विरोध में जेन जी के विरोध प्रदर्शनों के दौरान अबतक 20 से अधिक लोगों की मौत के बाद, नेपाल सरकार की चौतरफा आलोचना हो रही है।
इस बीच नेपाल की सियासत में भी हड़कंप मचा हुआ है। प्रदर्शन के बीच हुई पार्टी बैठक में गृह मंत्री बोले- अकल्पनीय क्षति, नैतिक आधार पर इस्तीफा देता हूं। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने अशांति पर चर्चा के लिए एक आपातकालीन कैबिनेट बैठक बुलाई।
गृह मंत्री रमेश लेखक ने एक बैठक में कांग्रेस पदाधिकारियों को सूचित किया है कि वह नैतिक आधार पर इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सोमवार के विरोध प्रदर्शन में अकल्पनीय जनहानि हुई है। सूत्रों के अनुसार, उनका इस्तीफा आज आने की संभावना है।
वहीं, विरोध प्रदर्शनों के बीच, सरकार इन सोशल मीडिया ऐप्स पर से प्रतिबंध हटा सकती है।पुलिस ने काठमांडू में विभिन्न स्थानों से 40 से अधिक जनरेशन-जेड प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है। सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से स्थानीय रजिस्ट्रेशन की मांग की थी और जब ये कंपनियां रजिस्टर नहीं हुई तो सरकार ने उन्हें बंद कर दिया, जिसके बाद पूरे देश में प्रदर्शन शुरू हो गए।
सरकार का कहना है कि इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फर्जी खबरें फैलाया जा रहा था और इससे साइबर अपराध बढ़ रहे थे, इसलिए इन पर कंट्रोल जरूरी था।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा कि देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता से खिलवाड़ की इजाजत नहीं दी जाएगी, उन्होंने कहा कि देश की गरिमा और कानून सबसे ऊपर है। यही वजह रही कि सोश मीडिया प्लेटफॉर्मस बैन कर दिए गए और यूथ्स नाराज हो गए।
सरकार ने तो अपने कारणों को वाजिब बताया है लेकिन युवाओं को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स बैन करने के पीछे कुछ और चाल लग रही थी। क्योंकि सोशल मीडिया उनके विचार व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण मंच है। इसके बंद होने से उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला हुआ है और इसी वजह से युवा सड़कों पर उतर आए।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हमारा गुस्सा भ्रष्टाचार और सरकारी नाकामी के कारण है। युवाओं का आरोप है कि सरकार का यह कदम तानाशाही प्रवृत्तियों को दर्शाता है।
युवाओं का कहना है कि हम बदलाव चाहते हैं, दूसरों ने इसे सहा लेकिन अब हम नहीं सहेंगे। वहीं सरकार का कहना है कि ये कदम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लिया गया है, जिसमें कहा गया था कि कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बिना रजिस्ट्रेशन के देश में काम नहीं करेगा।
मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि 28 अगस्त को कंपनियों को सात दिन का समय दिया गया था और डेडलाइन खत्म होने तक मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप), अल्फाबेट (यूट्यूब), एक्स (पहले ट्विटर) समेत किसी भी ग्लोबल कंपनी ने आवेदन नहीं किया। इसके बाद सरकार ने नेपाल टेलीकम्यूनिकेशन अथॉरिटी को निर्देश दिया कि आधी रात से सभी अनरजिस्टर्ड प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया जाए।
गुस्साए प्रदर्शनकारियों द्वारा कर्फ्यू तोड़कर संसद के पास प्रतिबंधित क्षेत्रों में घुसने के बाद नेपाल की राजधानी में सेना तैनात कर दी गई। नेपाल में विरोध प्रदर्शन को देखते हुए भारत-नेपाल सीमा पर अलर्ट जारी कर दिया गया है। सशस्त्र सीमा बल इस घटनाक्रम पर कड़ी नज़र रख रहा है।
द काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ प्रदर्शनकारी संसद परिसर में भी घुस गए, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। दमक में प्रदर्शनकारियों ने ईस्ट-वेस्ट हाईवे जाम कर दिया, जबकि कुछ ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के घर पर पथराव किया।
अशांति के जवाब में, काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय ने कर्फ्यू की अवधि बढ़ा दी है – जो शुरू में राजधानी के बानेश्वर इलाके में लगाया गया था। नए प्रतिबंधों में अब कई उच्च-सुरक्षा क्षेत्र शामिल हैं, जैसे राष्ट्रपति आवास (शीतल निवास), उपराष्ट्रपति निवास (लैंचौर), महाराजगंज, सिंह दरबार के चारों ओर, बलुवाटार स्थित प्रधानमंत्री आवास और आस-पास के क्षेत्र।