नई दिल्ली : न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई 14 मई को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाले हैं। परंपरा के अनुसार, वर्तमान सीजेआई संजीव खन्ना ने बुधवार को केंद्रीय कानून मंत्रालय से सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश बीआर गवई को अगला सीजेआई नियुक्त करने की सिफारिश की थी। सीजेआई खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
न्यायमूर्ति गवई के करियर के उल्लेखनीय फैसलों में जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद 370 को हटाना और इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करना शामिल हैं। बता दें कि न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई मूल रूप से महाराष्ट्र के अमरावती जिले के रहने वाले हैं।
24 नवंबर 1960 को अमरावती में जन्में बीआर गवई वरिष्ठ सांसद स्वर्गीय रामकृष्ण गवई के बेटे हैं। बीआर गवई न्यायमूर्ति केजी बालकृष्ण के बाद दूसरे मुख्य न्यायाधीश होंगे, जो दलित समुदाय से आते हैं, जिन्होंने साल 2007 से 2010 तक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया था।
64 वर्षीय न्यायमूर्ति बीआर गवई नवंबर 2025 में रिटायर होंगे। मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल 14 मई 2025 से 24 नवंबर 2025 तक रहेगा।
जस्टिस गवई के पिता जस्टिस रामकृष्ण सूर्यभान गवई रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के संस्थापक थे। वे महाराष्ट्र की राजनीति में सक्रिय थे और 1998 में RPI के उम्मीदवार के रूप में अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने 2006 से 2011 के बीच वह बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल के रूप में भी काम कर चुके हैं।
न्यायमूर्ति भूषण गवई 16 मार्च 1985 को बार में शामिल हुए थे। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के लिए सरकारी वकील और फिर सरकारी अभियोजक के रूप में कार्य किया है।
उन्हें 14 नवंबर, 2003 को बॉम्बे उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। 24 मई, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत होने से पहले उन्होंने वहां 16 वर्षों तक सेवा की।