अब नोटेरी पब्लिक नहीं कर सकेंगे शादी व तलाक के शपथ पत्र को प्रमाणित, जारी हुए आदेश

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केकड़ी : भारत सरकार के विधि और न्याय विभाग (राजकीय वादकरण) नई दिल्ली, उप सचिव राजीव कुमार ने पूरे भारत में नोटेरी पब्लिक का कार्य संपादित करने वाले अधिवक्ताओं को निर्देश जारी किए हैं, जिनमें स्पष्ट किया गया है कि नोटेरी अधिनियम 1952 की धारा 8 तथा नोटेरी नियम 11 (8) के अनुसार नोटेरी पब्लिक विवाह और विवाह विच्छेद के इकरारनामे व शपथ पत्रों को निष्पादित नहीं कर सकता है। इस अधिनियम के तहत वे प्रमाण पत्र भी जारी नहीं कर सकते।

आदेश पारित होने के बाद भी कोई नोटेरी पब्लिक यह कार्य करता है, तो उसके द्वारा जारी प्रमाण पत्र को निरस्त कर उसके विरुद्ध कार्रवाई अमल में लाई जाएगी तथा उनका लाइसेंस भी रद्द किया जाएगा। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि नोटेरी पब्लिक न तो विवाह के हलफनामे को प्रमाणित करने के लिए अधिकृत है और न ही तलाक के विलेख को निष्पादित करने के लिए।

आदेश में उप सचिव ने उड़ीसा और मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए बताया कि दोनों कोर्ट ने स्पष्ट रूप से माना है कि नोटेरी पब्लिक को विवाह अधिकारी के रूप में नियुक्त नहीं किया जाता है। वे विवाह या तलाक के कार्यों को निष्पादित करने के लिए अधिकृत नहीं है।

केकड़ी उपखंड के 30 से ज्यादा नोटेरी पब्लिक इस आदेश से प्रभावित हुए हैं। विवाह और तलाक के इकरारनामे और शपथ पत्र पर नोटेरी करने पर वकीलों की अच्छी खासी आमदनी हो जाती थी। उन्हें शादी या तलाक के शपथ पत्र या इकरारनामे को नोटेरी करने पर 1500 से 2500 रुपये या इससे ज्यादा भी मिल जाते थे, लेकिन अब उनकी आय पर इसका प्रभाव पड़ेगा।

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