नई दिल्ली : संसद में एक राष्ट्र-एक चुनाव पर बुधवार को संयुक्त संसदीय समिति की बैठक हुई। देश में एक साथ चुनाव कराने से जुड़े विधेयकों पर विचार कर रही संसदीय समिति के सामने बुधवार को दो प्रमुख अर्थशास्त्री पेश हुए।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और पूर्व आईएमएफ उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ तथा प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने आर्थिक पहलुओं पर अपने सुझाव रखे।
भाजपा सांसद और समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने बताया कि दोनों विशेषज्ञों ने उपयोगी सुझाव दिए और सदस्यों के सवालों का स्पष्ट उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव होने से 5 से 7 लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है और जीडीपी में 1.6 प्रतिशत तक बढ़ोतरी संभव है।
सूत्रों के अनुसार, गीता गोपीनाथ ने इस विचार का समर्थन करते हुए इसके व्यावहारिक पक्षों पर सावधानी बरतने की जरूरत बताई। दोनों ही अर्थशास्त्रियों ने एक राष्ट्र-एक चुनाव के आर्थिक पहलुओं और इससे निपटने के तरीके पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
संसदीय समिति के अध्यक्ष चौधरी ने कहा कि संसद, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए अलग-अलग चुनाव कराने से छात्रों की शिक्षा हमेशा बाधित होती है और कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में देरी होती है।
सूत्रों ने बताया कि गोपीनाथ ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने व्यवस्था संबंधी मुद्दों को उठाया क्योंकि अभी तक कोई भी देश इस तरह के अभ्यास को सफलतापूर्वक लागू नहीं कर पाया है।
ऐसा माना जाता है कि उन्होंने इंडोनेशिया का उदाहरण दिया, जहां अधिकारियों को रसद संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि उस देश में 17,000 द्वीप हैं जहां नागरिक रहते हैं।
