नई दिल्ली : भारत के पड़ोसी मुल्कों में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना हुआ है. पाकिस्तान में जहां जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने पूरे देश भर में आंदोलन करने का आह्वान अपनी पार्टी तहरीक ए इंसाफ से किया है. वहीं बांग्लादेश में अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद युनूस पर इस्तीफा देने और फिर से चुनाव करने का दबाव तेज हो गया है.
ढाका और कई और अन्य शहरों में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. अब नई मुसीबत नेपाल से आई है, जहां विपक्षी राजनीतिक दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और गृह मंत्री रबि लमिछाने के इस्तीफा देने तक संसद न चलने औऱ सड़क पर आंदोलन का ऐलान किया है. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी फिर संकट में है.
नेपाल में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, आरपीपी-नेपाल और राष्ट्रीय शक्ति अभियान ने 29 मई से सड़क पर विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी की है. नेपाल में बजट पेश करने के ठीक दो दिन पहले विरोधी दलों ने संसद न चलने की धमकी दी है. मंगलवार से संसद में कामकाज ठप है.
माओवादी पार्टी के नेता प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल को पिछले साल बजट के दौरान ऐसे ही विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा था.तब उस वक्त मंत्री रबि लमिछाने पर कोऑपरेटिव धोखाधड़ी के आरोपों को लेकर गतिरोध बना था. इस बार ये मुसीबत पीएम केपी शर्मा ओली पर आ गई है. माओवादी और आरएसपी ने वीजा स्कैंडल को लेकर गृह मंत्री रमेश लेखक के इस्तीफे की मांग की है.
नेपाली कांग्रेस ने पिछले साल लमिछाने को संसद में बोलने नहीं दिया था. लेकिन अब नेपाली कांग्रेस सत्ता में है और आरएसपी विपक्ष में. आरएसपी अब गृह मंत्री लेखक के इस्तीफे और सरकार गिराने की धमकी दे रही है.नेपाल के लोकपाल सीईएए ने 22 मई को आव्रजन विभाग में छापेमारी कर वीजा में धोखाधड़ी को लेकर आव्रजन प्रमुख तीर्थराज भट्टाराई को गिरफ्तार किया था. इसके बाद लेखक निशाने पर आ गए, क्योंकि वो गृह मंत्रालय के प्रमुख है, जिसके तहत वीजा मामले आते हैं.
नेपाल में अभी कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल की साझा सरकार है. नेपाल में हर साल सत्ता परिवर्तन के बीच राजतंत्र और हिंदू राष्ट्र की दोबारा स्थापना को लेकर राजतंत्र समर्थक संगठन सक्रिय हो गए हैं.